प्लेग रोग क्या है इससे कैसे बचें इसके लक्षण व उपचार
दुनिया भर में हर साल बीमारियों से हजारों लाखों लोगों की मौत हो जाती है लेकिन कई बार ऐसी महामारी आती है जो कि कुछ ही समय में हजारों लाखों लोगों की जान ले लेती है और यह बीमारियां कभी खत्म नहीं होती है हालांकि इन बीमारियों का इलाज संभव हो पाता है लेकिन समय पर इलाज न होने पर इन से इंसानों की तुरंत मौत भी हो सकती है इसी तरह से एक प्लेग नाम की बीमारी है जो कि एक खतरनाक बीमारी है इससे संक्रमित व्यक्ति कि कुछ ही समय में मौत हो सकती है तो आज के इस ब्लॉग में हम प्लेग बीमारी के बारे में ही बात करने वाले इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे की प्लेग क्या है यह कैसे होता है और इससे कैसे बचेंगे.
प्लेग क्या है
प्लेग रोग एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जो कि शीत ऋतु के जाते समय अंतिम दिनों में सबसे ज्यादा उत्पन्न होती है और प्ले एक संक्रामक बीमारी है और यह बीमारी पिछली एक शताब्दी में लगभग लाखों लोगों की जान ले चुकी है हालांकि अब पिछले कुछ दशकों में इस बीमारी के ऊपर तेजी से नियंत्रण पाया गया है लेकिन फिर भी इस बीमारी के संक्रमण से हर साल हजारों लोग अपनी जान गवा देते हैं
प्लेग रोग के कारण
अगर प्लेग नामक इस खतरनाक बीमारी के कारणों के बारे में बात की जाए तो इस बीमारी का सबसे बड़ा और मुख्य कारण एक एक ही है क्योंकि यह रोग एक ऐसा रोग है जो कि चूहों के कारण फैलता है जब प्लेग बेसिलस नामक कीटाणु चूहे को काटते हैं तब उनमें प्लेग फैल जाता है और फिर चूहों के ऊपर पलने वाले बिल्कुल बारीक पिस्सुओं द्वारा काटे जाने पर यह रोग महामारी के रूप में मनुष्य तक फैल जाता है जोकि बहुत तेजी से फैलता है और जब यह रोग किसी एक जगह पर आता है तब उस जगह पर यह महामारी के रूप में भी फैल सकता है
प्लेग रोग के लक्षण
अगर इस रूप की लक्षणों के बारे में बात की जाए तो इस रोग के उत्पन्न होने पर रोगी के शरीर में कई प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे चक्कर आना, सिर दर्द होना, तेज बुखार होना, कंपकंपी होना, उल्टी गिरना, वमन होना, लगातार अधिक पसीना आना, गर्दन और जांघों जैसी जगह पर गांठे उभरना, गांठो में तेज दर्द होना, एकदम तेज बुखार होना, शरीर में कमजोरी, थकावट व आलस होना, तूतला कर बोलना, पेशाब का रंग खून की तरह लाल होना, आंखों और चेहरे पर सुर्वी दिखना आदि प्लेग रोग के मुख्य लक्षण होते हैं
क्या-क्या खाना चाहिए
- रोगी को मूंग की दाल या मास का शोरबा सुबह शाम पिलाना चाहिए
- रोगी को फलों में अंगूर, अनार, नाशपति और सेब खिलाने चाहिए
- रोगी को अखरोट, साबूदाने की खीर और दूध देना चाहिए
- रोगी को उबले हुए अंडे का पानी पीना चाहिए
- रोगी को नींबू के रस में नमक और पानी मिलाकर बार-बार पीना चाहिए
- रोगी को सुबह-शाम इमली का पानी पीना चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- रोगी को गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा भारी और व तले हुए भोजन से परहेज करने चाहिए
- रोगी को उड़द की दाल गुड तेल और मछली आदि से परहेज करना चाहिए
- रोगी को मूली, अरबी, गोभी, हरी मिर्च, चुकंदर आलू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
क्या करना चाहिए
- हर रोज सरसों के तेल में नमक मिलाकर सुबह-शाम दांतो की सफाई करनी चाहिए
- कीटाणुनाशक दवाओं से पिस्सू व जहर से चूहों को मार देना चाहिए और मरे हुए चूहे को जमीन में गाड़ देना चाहिए
- प्रलाप के समय रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए
- रोग का पता चलते ही आपको एक अलग कमरे में रहना चाहिए और बच्चों को अपने से दूर रखना चाहिए
- हर रोज सरसों के तेल की मालिश करने के 1 घंटे बाद नहाना चाहिए
- आपको गर्म पानी से स्नान करना चाहिए
- रोगी को स्वस्थ कपड़े व बिस्तर देने चाहिए वह हवादार कमरे में रखना चाहिए
- रोगी को सर्दी से बचाना चाहिए क्या क्या नहीं करना चाहिए
क्या नहीं करना चाहिए
- रोगी को गर्म हवा धूप और आपकी गर्मी के पास बैठना चाहिए
- प्लेग रोग एक जान लेवा रोग है इस बीमारी के बारे में पता चलते ही तुरंत इलाज करवाना चाहिए
- प्लेग एक संक्रामक रोग है इसलिए अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति आता है तो उसे संपर्क न होने दें
- आपको ज्यादा ठंडी जगह पर रहने से बचना चाहिए व कूलर और A.C का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
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