महर्षि वाल्मीकि कौन थे महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय
भारत एक बहुत ही प्राचीन देश है अगर भारत के इतिहास को उठाकर देखा जाए तो भारत आज से लगभग 5000 साल पहले के बीच बसा हुआ है इसके पहले भी भारत का एक बहुत प्राचीन इतिहास रहा है आज भी भारत के अनेक जगहों पर भारत के बहुत ही प्राचीन होने के अवशेष मिलते हैं इसका सबसे बड़ा अवशेष सिंधु घाटी की सभ्यता है जो कि आज से लगभग 5000 साल पहले बसा हुआ एक शहर था.
उसके मुताबिक भारत सिंधु घाटी सभ्यता से भी बहुत साल पहले बसा हुआ था सिंधु घाटी की सभ्यता से हमें यह प्रमाण मिलता है कि जब सिंधु घाटी नामक शहर बसा तब वहां के लोग खेती करने योग्य थे और वे एक दूसरे के साथ व्यापार भी करते थे तब आप समझ सकते हैं कि भारत उनसे भी बहुत पुराना देश है भारत में बहुत बड़े-बड़े ऋषि मुनि योगी व तपस्वी भी पैदा हुए हैं जिनका भी एक बहुत ही अलग इतिहास रहा है.
इन सभी ने भी भारत के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है समय के साथ-साथ हमारे देश का विकास होता गया और आज भारत एक दुनिया में बहुत बड़े विशाल देश के रूप में खड़ा है.लेकिन भारत में कई ऐसी ऋषि मुनि, महा कवि, कवि, लेखक भी पैदा हुए हैं जिन्होंने भारत के इतिहास को दुनिया के सामने रखा और भारत के और हिंदू धर्म को दुनिया के सामने और हिंदू धर्म का दुनिया के सामने प्रसार किया. ऐसी ही एक कवि महर्षि वाल्मीकि हुए थे थी.
जिन्होंने रामायण जैसे महाकाव्य को लिखा रामायण वही महाकाव्य है जो कि भगवान श्री राम के जीवन परिचय के ऊपर आधारित है महर्षि वाल्मीकि ने इस महाकाव्य का पहले संस्कृत में निर्माण किया शायद आप में से बहुत सारे लोग महर्षि वाल्मीकि के बारे में अच्छे से जानते होंगे लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिनको इनके बारे में इतना ज्यादा जानकारी नहीं है तो आज किस ब्लॉग में हम आपको महर्षि बाल्मीकि के पूरे जीवन परिचय के बारे में बताने वाले हैं.
महर्षि वाल्मीकि
हिंदू धर्म में बहुत सारे महान तपस्वी यज्ञ मुनि ऋषि पैदा हुए हैं जिन्होंने हमारे धर्म और हमारे समाज के लिए बहुत अच्छे-अच्छे कार्य किए है उन्होंने घोर तपस्या की बावजूद भी अपने जीवन का पूरा समय दूसरे लोगों की भलाई में लगाया महर्षि वाल्मीकि भी एक ऐसे ही महा कवि माने जाते हैं महर्षि वाल्मीकि को श्लोक का जन्मदाता भी कहा जाता है क्योंकि महर्षि बाल्मीकि को संस्कृत भाषा का बहुत ज्यादा ज्ञान था.
उन्होंने संस्कृत भाषा में पहला स्वरूप भी लिखा था इसी कारण से महर्षि वाल्मीकि की जयंती को प्रकट दिवस के रूप में भी जाना जाता है महर्षि वाल्मीकि को रत्नाकर के नाम से भी पुकारा जाता है महर्षि वाल्मीकि एक बहुत बड़े महाकवि थे और उन्होंने रामायण जैसे महाकाव्य का निर्माण किया जो कि भगवान श्री राम की जीवन के ऊपर आधारित हैं.
ऐसा महाकाव्य दुनिया में दूसरा कोई और नहीं क्योंकि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण दुनिया की एकमात्र ऐसी ऐसा महाकाव्य है जिसमें हर प्रकार की चीज के ऊपर ध्यान दिया गया है रामायण में आपको सत्य प्रेम प्यार भावना मित्रता अच्छाई मर्यादा और धर्म के प्रति लगाव जैसी चीजों के बारे में सीखने को मिलता है.
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में आपको हमेशा सत्य के ऊपर चलने के बारे में बताया गया है इसके अलावा रामायण में आपको संस्कृत भाषा का भी ज्ञान प्राप्त होता है इस महाकाव्य में आपको संस्कृत भाषा के सभी शब्दों का अर्थ मिलता है ऐसा नहीं है कि महर्षि वाल्मीकि जन्म से ही एक महाकवि या रत्नाकर थे क्योंकि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण का निर्माण एक घटना से प्रेरित होकर किया था पहले महर्षि वाल्मीकि एक डाकू हुआ करते थे.
रामायण की रचना
महर्षि वाल्मीकि ने अपने जीवन में एक ऐसे महाकाव्य की रचना की जिसने पूरी दुनिया को प्रेम, मर्यादा, धर्म और अच्छाई के रास्ते पर चलने के बारे में बताया रामायण की रचना एक ऐसी घटना के कारण हुई जिसमें महर्षि वाल्मीकि को एक बहुत बड़ा महाकवि व रचनाकार बना दिया ऐसा माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म एक भील जाति में हुआ था वे वास्तव में एक बहुत बड़े जंगली डाकू हुआ करते थे .
क्योंकि महर्षि वाल्मीकि का पूरा परिवार जंगल में रहन-बसेरा करता था जंगल में किसी दूसरी आजीविका का कोई साधन नहीं था इसलिए महर्षि वाल्मीकि अपने परिवार के पालन पोषण के लिए राहगीरों को लूटते थे और अगर कोई राहगीर जोर जबरदस्ती करता तो उनकी हत्या भी कर देते हैं इस तरह से महर्षि वाल्मीकि अपने परिवार के लिए खुद को पापों के अंधेरे में दिन-प्रतिदिन धकेलते जा रहे थे.
लेकिन एक बार महर्षि बाल्मीकि का सामना नारद मुनि से होता है महर्षि वाल्मीकि नारद मुनि को बांध लेते हैं और उनसे छीना झपटी करने लगते हैं लेकिन महर्षि वाल्मीकि से नारद मुनि सवाल करते हैं कि आप यह पाप क्यों कर रहे हैं तब महर्षि वाल्मीकि जवाब देते हैं कि हमारे पास आजीविका का कोई दूसरा साधन नहीं है और मैं अपने परिवार के पालन पोषण के लिए यह सब करता हूं.
तभी नारद मुनि कहते हैं कि जिस परिवार के लिए आप यह पाप हर रोज कर रहे हैं. क्या वही परिवार आपको इन पापों को वहन करने में साथ देगा तभी महर्षि वाल्मीकि कहते हैं कि हां क्यों नहीं देगा जिस परिवार के लिए मैं यह सब कर रहा हूं वह मेरा साथ जरूर देगा तभी नारद मुनि कहती हैं कि आप एक बार पूछ कर देखिए अगर आपका परिवार आपका साथ देगा तो मैं सारी धन दौलत आपको दे दूंगा.
तभी महर्षि वाल्मीकि अपने परिवार के सभी सदस्यों से पूछते हैं.लेकिन उनके परिवार का कोई भी सदस्य है इस बात से सहमत नहीं होता और इसी बात से महर्षि वाल्मीकि टूट जाते हैं और उनको बहुत बड़ा सदमा लगता है फिर महर्षि वाल्मीकि अपने गलत रास्ते को छोड़कर तप का रास्ता चुन लेते हैं और वे एक ऐसी जगह पर चले जाते हैं जहां पर भी कई सालों तक लगातार तपस्या करते रहते हैं .
इसी कठोर तपस्या के कारण महर्षि वाल्मीकि को ज्ञान की प्राप्ति होती है फिर इसी ज्ञान के चलते महर्षि बाल्मीकि रामायण जैसे महा ग्रंथ की रचना करते हैं रामायण की रचना ना के लिए महर्षि वाल्मीकि को ब्रह्मा जी से प्रेरणा मिली और ब्रह्मा जी ने ही रामायण में भगवान विष्णु के अवतार राम को चित्रण करने के बारे में बताया फिर वाल्मीकि महाकाव्य रामायण की रचना शुरू करते हैं.
महर्षि वाल्मीकि पहले श्लोक का निर्माण किसी खास मकसद से नहीं करते बल्कि पहले श्लोक का निर्माण अचानक किसी घटना के कारण हो जाता है क्योंकि एक बार वाल्मीकि रामायण गंगा के किनारे बैठे होते हैं और वे एक प्रेमी नर नारी पक्षी जोड़े को देख रहे होते हैं तभी अचानक एक शिकारी नर पक्षी की तीर के साथ हत्या कर देता है.
उसी समय महर्षि वाल्मीकि के मुंह से अचानक एक श्लोक निकलता है जिसका अर्थ होता है कि जिस भी दुष्ट पापी ने यह काम किया है उसे जीवन में कभी सुख नहीं मिलेगा उस पापी ने एक प्रेम में लिप्त एक पक्षी की हत्या की है और यहीं से रामायण की रचना की शुरुआत होती है और रामायण में 23000 श्लोक लिखे जाते हैं
महर्षि वाल्मीकि का जन्म
महर्षि वाल्मीकि का जन्म भील जाति के एक परिवार में हुआ लेकिन ऐसा माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म भील जाति में नहीं हुआ था बल्कि उनके पिता का नाम प्रचेता था जोकि ब्रह्मा जी के पुत्र माने जाते हैं लेकिन महर्षि वाल्मीकि को एक भील जाति की महिला चुरा कर ले जाती है ऐसा माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था.
इसी दिन को हिंदी कैलेंडर में महर्षि वाल्मीकि के नाम से जाना जाता है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल महर्षि वाल्मीकि जयंती अलग-अलग तारीख को आती है महर्षि वाल्मीकि बचपन से एक साधारण बच्चे नहीं होते समय के साथ-साथ अपने परिवार के पालन पोषण के लिए डाकू बन जाते हैं.
बाद में एक घटना के कारण महर्षि एक बहुत बड़े तपस्वी और महाकवि बनते हैं.रामायण में भी बहुत सारी ऐसी घटनाएं हैं जिनको महर्षि वाल्मीकि ने किसी खास वजह के कारण रचित किया है ऐसी ही एक घटना भगवान श्री राम की वनवास को लेकर भी हैं.
FAQ
Q : ऋषि वाल्मीकि कौन थे ?
Ans : महर्षि वाल्मीकि प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण के रचियता थे.
Q : वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाती है ?
Ans : आश्विन मास की पूर्णिमा को
Q : वाल्मीकि किसके पुत्र थे ?
Ans : वाल्मीकि जी एक प्रचेता के पुत्र थे, जिन्हें ब्रम्हा जी का पुत्र कहा जाता है.
Q : वाल्मीकि का जन्म कहाँ हुआ ?
Ans : वाल्मीकि का जन्म भारत में हुआ.
Q : वाल्मीकि का असली नाम क्या है ?
Ans : वाल्मीकि का असली नाम डाकू रत्नाकर है.
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई महर्षि वाल्मीकि के जीवन परिचय के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें.महर्षि वाल्मीकि का इतिहास, महर्षि वाल्मीकि का नाम वाल्मीकि कैसे पड़ा, महर्षि वाल्मीकि की मृत्यु कब हुई, वाल्मीकि का पुराना नाम,