कब्ज क्या है इसके लक्षण, कारण व आयुर्वेदिक उपचार
वैसे तो हमारे जीवन में कई छोटी बड़ी परेशानियां आती रहती है लेकिन कई बार छोटी परेशानियों के कारण हमें बाद में बड़ी बीमारी का सामना करना पड़ता है और यह बीमारियां बाद में हमारे लिए घातक भी साबित हो सकती है इसलिए हमारे शरीर में छोटी परेशानियां होने पर ध्यान देने की जरूरत होती है
इसी तरह से छोटी-छोटी समस्या के कारण कब्ज की बीमारी भी उत्पन्न होती है यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है जिससे रोगी बहुत परेशान होता है और ऐसा नहीं है कि
यह बीमारी एकदम से उत्पन्न होती है क्योंकि यह हमारे शरीर में कुछ छोटी परेशानियों के कारण ही उत्पन्न होने वाली बीमारी है अगर इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं करवाया जाए तो यह हमारे लिए आगे चलकर कई बीमारियों का कारण बन सकती है
तो आज के इस ब्लॉग में हम कब्ज की समस्या के बारे में विस्तार से जानेंगे इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि कब्ज कैसे उत्पन्न होती है इसको कैसे ठीक किया जा सकता है और इसके लक्षण व् कारण आदि.
कब्ज क्या है
what is constipation in Hindi – कब्ज एक ऐसी समस्या है जिसमें रोगी का दो-तीन दिन तक मल विसर्जन नहीं होता और उसको बार-बार मल विसर्जन का मन करता है लेकिन उसका मल बाहर नहीं आता या बिलकुल सख्त व सूखा हुआ मल आता है
जो कि बहुत ही कम मात्रा में आएगा जिससे रोगी के शरीर में राहत नहीं मिल पाती यानी साधारण भाषा में कहा जाए तो जब रोगी का मल शरीर से बाहर आना बंद हो जाता है तब उस अवस्था को कब्ज़ कहा जाता है और जब किसी रोगी का शरीर कब्ज़ रोग से ग्रस्त होता है
तब उसको कई और बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है और इससे रोगी का मानसिक संतुलन भी बिगड़ सकता है और रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा व गुस्सैल हो जाता है आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति को हर रोज 200 से 250 ग्राम मल विसर्जन करना बहुत जरूरी होता है बाकी रोगी के खाए पिए हुए भोजन के ऊपर निर्भर करता है
हर रोज रोगी को दिन में 1 से 2 बार मल विसर्जन जरूर करना चाहिए और जब किसी इंसान को कब्ज की समस्या लंबे समय तक उत्पन्न रहती है तब उसको सबसे ज्यादा बवासीर का खतरा होता है
कब्ज के कारण
Cause to constipation in Hindi – अगर कब्ज रोग के कारणों के बारे में बात की जाए इस रोग के बहुत सारे कारण होते हैं जैसे लीवर की कार्य क्षमता कम होना, बारिक आटे का सेवन करना, पोलिस की हुई चावल खाना, ज्यादा बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू आदि का सेवन करना, ज्यादा नशीले पदार्थों का सेवन करना
जैसे शराब, भांग, अफीम आदि, कम पानी पीना, परिश्रम न करना, एक जगह पर बैठे बैठे काम करना, ज्यादा कठोर भोजन का सेवन करना, ज्यादा सुखी वस्तुओं का सेवन करना,, ज्यादा तले हुए भोजन का सेवन करना, ज्यादा समय तक खाली पेट रहना,
मल त्याग के लिए तंबाकू की आदत डालना, मल विसर्जन को रोकना, मन में भय, क्रोध, गुस्सा, चिंता व मानसिक विकार उत्पन्न होना, ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का सेवन करना, भोजन में परिवर्तन करना, कम फाइबर युक्त भोजन खाना, पानी में बदलाव होना, मल त्याग में अधिक दर्द होना, लंबे समय तक सोए रहना, पेट के पेट से संबंधित रोग होना
जैसे वमन, कार्सिनोमा, ओप्मकोलन, पायलेरिक आऊटलेट आब्स टूक्शन आदि, शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना, विटामिन बी की कमी होना, ज्यादा मानसिक कार्य करना इसके अलावा भी ऐसे बहुत सारे कारण हैं जो कि कब्ज़ रोग का मुख्य कारण बनते हैं
कब्ज के लक्षण
Symptoms of constipation in Hindi – जब किसी इंसान में कब्ज की समस्या उत्पन्न होती है तब रोगी को इसके कई लक्षण भी देखने को मिलते हैं जैसे रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा होना, दो-तीन दिन तक मल विसर्जन ना होना,
कम मात्रा में मल विसर्जन होना, मल सूखा व कठोर होना, मल करते समय दर्द होना, सुबह-सुबह मल विसर्जन ना होना, मल विसर्जन के बाद संतुष्टि ना होना, सिर दर्द आलस्य व थकावट रहना, मानसिक दबाव उत्पन्न होना,
कई देर तक मल विसर्जन ना होना, रोगी की जीभ फटी हुई व सफेद होना, सिर भारी रहना व खट्टी डकार आना, गैस एसिडिटी बनना, पेट भारी रहना, पेट में जलन होना, भूख न लगना, कमजोरी आना, नींद न आना, किसी काम में मन न लगना मल विसर्जन के लिए तंबाकू बीड़ी का इस्तेमाल करना, शरीर में पानी की कमी होना बार-बार प्यास लगना इसके अलावा भी इसके और कई प्रकार के लक्षण होते हैं
क्या खाना चाहिए
- रोगी को हरी में ताजा सब्जी का सेवन करना चाहिए जैसे गाजर, मटर, पत्ता गोभी, बैंगन आदि
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा पानीदार फलों का सेवन करना चाहिए जैसे तरबूज, खरबूजा, अंगूर, सेब, पपीता, अमरूद, केला आदि
- रोगी को दलिया, खिचड़ी का सेवन करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा दालों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को चोकर युक्त गेहूं के आटे की रोटियों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा पानी वाली सब्जियों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को लस्सी दही वह दूध का सेवन करना चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- रोगी को ज्यादा तले भुने हुए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को मिर्च मसालेदार व चटपटे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को मांस, मछली, अंडा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को सुखी सब्जी जैसे करेला, भिंडी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा दूध से बने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा चावल व बेसन से बनी हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को बे मौसमी भोजन को खाने से बचना चाहिए
- रोगी को बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
क्या करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा दूध लस्सी आदि का सेवन करना चाहिए
- रोगी को सुबह-सुबह खुली हवा में घूमना चाहिए सैर करनी चाहिए
- रोगी को हर रोज सुबह सुबह हल्के-फुल्के व्यायाम व प्राणायाम आदि करने चाहिए
- रोगी को खाना खाते रोगी को खाना खाने के बाद इधर-उधर टहलना चाहिए
- रोगी को हर रोज सुबह साइकिलिंग आदि करनी चाहिए
- रोगी को एनिमा लगवाना चाहिए
- रोगी को मल ने आने पर भी शौच करने की कोशिश करनी चाहिए
क्या नहीं करना चाहिए
- रोगी को भोजन करते ही तुरंत सोना नहीं चाहिए
- रोगी को सोने से लगभग 2 घंटे पहले भोजन करना चाहिए
- रोगी को अपने शरीर में पानी की मात्रा कम नहीं होने देनी चाहिए
- रोगी को लंबे समय तक एक जगह पर बैठे-बैठे कार्य नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा कठोर परिश्रम नहीं करना चाहिए जिससे शरीर में पानी की कमी हो
- रोगी को ज्यादा दिनों तक एनिमा नहीं लगाना चाहिए
- रोगी को ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
फिर भी अगर किसी को कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए व डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए या आप कुछ आयुर्वेदिक दवाओं व औषधियों का भी इस्तेमाल के कब्ज को आसानी से दूर कर सकते हैं जिनके बारे में हमें आपको नीचे बताया है इन सभी को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस्तेमाल करें
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