काला मोतियाबिंद क्या होता है इसके कारण लक्षण बचाव व उपचार
जब भी हमारी आंख में कोई मिट्टी का कण चला जाता है तब हमारी आंख में ऐसा महसूस होता है कि पता नहीं कितना बड़ा पत्थर का टुकड़ा आंख में गिर गया है क्योंकि आँख हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और बहुत ही नाजुक अंग होता है जिसकी देखभाल करना बहुत जरूरी है.
अगर हमारी आंखों में जरा सी भी मिट्टी चली जाए तब हमारी आंखों में बहुत तेज दर्द होता है और हमारी आंख से दिखाई देना भी बंद हो जाता है और हम अपनी आंख को रगड़ रगड़ कर लाल बना देते हैं
लेकिन कई बार हमारी आंखों में बीमारियां होने से भी हमारी आंखों में दिखाई देना बंद हो जाता है तो इस ब्लॉग में हम ऐसी ही एक बीमारी के बारे में बात करने वाले हैं इस ब्लॉग में हम काला मोतियाबिंद बीमारी के बारे में बात करेंगे जो कि एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है
काला मोतियाबिंद
इससे अपने इसे पिछले ब्लॉग में हमने आपको सफेद मोतियाबिंद के बारे में बताया था और यह बीमारी भी उसी की जैसी ही बीमारी है लेकिन काला मोतियाबिंद सफेद मोतियाबिंद के मुकाबले में ज्यादा खतरनाक होता है इससे रोगी की आंख बिल्कुल खत्म हो सकती है और इसके साथ ही रोगी को बहुत तेज दर्द का भी सामना करना पड़ता है.
और इस बीमारी को ग्लूकोमा के नाम से भी जाना जाता है और यह एक ऐसी बीमारी है जो कि रोगी की आंखों में बिना किसी आहट के आती है और धीरे-धीरे रोगी की आंख को अपना शिकार बना लेती है और इससे हमारी आंखों की दृष्टि चली जाती है
क्योंकि हमारी आंखों में दृष्टि तंत्रिका होती है और अगर हम किसी ऐसे काम को बार-बार कर रहे हैं जिससे हमारी दृष्टि तंत्रिका के ऊपर ज्यादा दबाव पड़ रहा है
तब हमारी आंख से दिखाई देना बंद हो जाएगा क्योंकि ज्यादा दबाव के चलते हमारी दृष्टि तंत्रिका धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है इसलिए हमारी आंखों की दृष्टि तंत्रिकाओं के दबाव को कम करना ही इस समस्या का सबसे अच्छा उपचार माना जाता है अगर आप लंबे समय तक इस समस्या को अनदेखा कर देते हैं.
तब आपकी आंखों की दृष्टि हमेशा के लिए चली जाएगी एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में लगभग 40 साल से ज्यादा उम्र की एक करोड़ लोगों में काला मोतियाबिंद की बीमारी हैकाला मोतियाबिंद तीन चरण में होता है
जिसमें प्रथम चरण, द्वितीय चरण और उच्चतम चरण शामिल होते हैं और इन सभी चरणों में रोगी की दृष्टि में अलग-अलग परिवर्तन होता रहता है लेकिन जब रोगी की आंख की दृष्टि लगभग खत्म हो चुकी होती है तब रोगी अंतिम चरण में पहुंच जाता है
कारण
अगर काला मोतियाबिंद या ग्लूकोमा बीमारी के कारणों के बारे में बात की जाए तो जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया इस समस्या का सबसे बड़ा और इसका सबसे मुख्य कारण हमारी आंखों की दृष्टि तंत्रिकाओं के ऊपर दबाव का बढ़ना होता है जिसे हमारी आंखों की दृष्टि तंत्रिका धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है
और इसका हमें मालूम भी नहीं पड़ता लेकिन कुछ समय बाद हमारी आंखों की दृष्टि बिल्कुल कमजोर हो जाती है जिससे हमारी आंखों में लगातार दर्द रहने लगता है और हमारी आंखों की रोशनी चली जाती है इसके अलावा भी इस समस्या के उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं जैसे
- रोगी का लगातार मोबाइल का इस्तेमाल करना
- रोगी का लगातार अंधेरे में काम करना
- रोगी का कम रोशनी में पढ़ाई करना
- रोगी का लगातार किसी एक चीज को देखते रहना
- रोगी का कम धूप वाले क्षेत्र में काम करना
- रोगी का पूरा दिन लाइट में काम करना
- रोगी का लगातार किसी ऐसी चीज के ऊपर फोकस करना जोकि बहुत तेज रोशनी या छोड़ रही होती है
बचाव
- रोगी को समय-समय पर अपनी आंखों का टेस्ट करवाते रहना चाहिए
- रोगी को हर रोज अपनी आंखों से संबंधित व्यायाम करने चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों को धूल मिट्टी केमिकल व कीटनाशक दवाइयों आदि से बचा कर रखना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों में हमेशा आई ड्रॉप का इस्तेमाल करते रहना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों को गंदे हाथों व गंदे कपड़े से नहीं छूना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों के ऊपर कम से कम दबाव डालने की कोशिश करनी चाहिए
- रोगी को कम लाइट में मोबाइल लैपटॉप व पढ़ाई आदि नहीं करनी चाहिए
- रोगी को लंबे समय तक अंधेरे व ज्यादा लाइट वाले कमरे में नहीं रहना चाहिए
- रोगी को एक चीज को लगातार नहीं देखते रहना चाहिए
- रोगी को स्कूटर बाइक आदि चलाते समय हेलमेट में चश्मा का उपयोग करना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों में अलग-अलग सूरमा वे दवाइयां नहीं डालनी चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों को हर रोज सुबह ठंडे पानी से धोना चाहिए
- रोगी को अपनी आंख में धूल मिट्टी गिर जाने पर रगड़ना नहीं चाहिए
क्या खाएं
अगर किसी इंसान की आंख में काला मोतियाबिंद से संबंधित समस्या है तब रोगी अपनी आंखों की दृष्टि तंत्रिकाओं के दबाव को कम करने के लिए कुछ ऐसी चीजों का सेवन कर सकता है जो कि उसके लिए फायदेमंद हो सकती है कुछ ऐसी चीजों के सेवन से परहेज करना भी बहुत जरूरी है जोकि उसके लिए खतरा बन सकती है जैसे
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा विटामिन सी से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे हरी मिर्च खट्टे फल संतरे नींबू मौसमी व स्ट्रौबरी आदि
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा गहरे हरे पीले वह नारंगी रंग के फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इनमें एक ऐसा तत्व होता है जो कि इस बीमारी से रोगी को बचाने में मदद करता है
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा अंडे गेहूं अखरोट का तेल जैसे साबुत अनाज खाने चाहिए
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा गाजर, दूध, जो व शकरकंद जैसे पदार्थों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को अपने भोजन में मछली का तेल इस्तेमाल करना चाहिए जोकि आंख के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा पालक हरी मेथी लौकी की याद और तुरई मटर आदि का सेवन करना चाहिए
क्या न करें
- रोगी को अपनी आंखों के ऊपर ज्यादा दबाव डालने से परहेज करना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों को ढूंढें धूल मिट्टी और केमिकल से बचाना चाहिए
- रोगी को धूम्रपान व शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
- रोगी को अपने शरीर में मोटापा उत्पन्न नहीं होने देना चाहिए
- रोगी को लंबे समय तक जागते नहीं रहना चाहिए
- रोगी को पूरा दिन मोबाइल लैपटॉप आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा मात्रा में कॉफी और चाय का सेवन नहीं करना चाहिए
उपचार
अगर किसी इंसान को काला मोतियाबिंद से संबंधित समस्या उत्पन्न हो जाती है तो उसको इतना ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है अगर आप इस समस्या के शुरुआती लक्षणों को पहचान का डॉक्टर के पास चले जाते हैं तब डॉक्टर आपकी इस समस्या का इलाज भी कर सकते हैं इसके लिए आपको अलग-अलग चरणों में अलग-अलग इलाज दिए जाते हैं
पहले चरण में आपको आइस में दवाइयां डालने की सलाह दी जाती है दूसरे चरण में आपको खाने वाली दवाइयां दी जाती है जो कि आपकी आंखों की दृष्टि तंत्रिकाओं के दबाव को कम करने में मदद करती है लेकिन फिर भी अगर आपकी आंख से यह समस्या दूर नहीं होती तब आपकी आंख की सर्जरी की जाती है जिससे आपकी आंखों को अलग-अलग सर्जरी के द्वारा ठीक किया जाता है
लेकिन अगर किसी इंसान की आंख में जरा सी भी तकलीफ दिखाई देती है तब तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और अपनी आंखों के टेस्ट करवा कर किसी अच्छे डॉक्टर से दवाइयां लेनी चाहिए क्योंकि अगर आपकी आंखों की दृष्टि एक बार चली जाती है तब वापस आना नामुमकिन होता है इसलिए आंख की समस्या को हल्के में लेना बहुत महंगा पड़ सकता है
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