गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन परिचय गुरु गोविंद सिंह का इतिहास

गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन परिचय गुरु गोविंद सिंह का इतिहास

भारत अनेक रीति-रिवाजों व अलग-अलग धर्मों का देश है भारत में अलग-अलग धर्मों के कई लोग रहते हैं इतना बड़ा होने के बावजूद भी भारत में सभी लोग मिल जुल कर रहते हैं वे एक दूसरे धर्म के लोगों का आदर करते हैं और उनके धर्म में आने वाले विशेष पर्व को एक दूसरे के साथ मिलकर मनाते हैं वैसे तो भारत में ज्यादातर हिंदू धर्म के लोग रहते हैं इसलिए भारत में सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के त्यौहार व खुशी के अवसर मनाया जाते हैं.

लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि भारत में दूसरे धर्म के लोग अपने त्योहारों को नहीं मनाते बल्कि दूसरे धर्म के लोग भी अपने त्यौहारों को बड़े ही चाव और धूमधाम के साथ मनाते हैं भारत में हिंदू मुस्लिम के अलावा सिखों की भी बहुत ज्यादा जनसंख्या है और सिख लोग भी अपने धर्म में आने वाले कई महत्वपूर्ण दिनों को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं सिख धर्म भी हिंदू धर्म के जैसे ही दूसरे लोगों की रक्षा करना उन को खाना खिलाने की सलाह देता है.

आपने बहुत सारी जगह पर सिख गुरुद्वारे देखे होंगे जिनमें हर रोज़ लोगों को खाना खिलाया जाता है पंजाब के अलावा भी भारत राज्यों में गुरुद्वारे हैं जहां पर हर रोज़ हजारों लोगों को खाना खिलाया जाता है सिख धर्म के लोगों को यह सिख उनके गुरु के द्वारा दी गई है और सिख धर्म के सभी लोग अपने गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलते हैं.

सिख धर्म में ऐसे कई महान गुरु हुए हैं जिन्होंने अपने धर्म के लिए सब कुछ किया. वे अपने धर्म के लिए हमेशा अटल रहे उन्होंने अपने धर्म के लिए अपने बच्चों तक का बलिदान दे दिया ऐसे ही सिख धर्म में गुरु गोविंद सिंह भी एक ऐसे ही गुरु पैदा हुए जिन्होंने अपने धर्म के लिए अपने बच्चों तक का बलिदान दे दिया.

आप सभी में से बहुत सारे लोग शायद गुरु गोविंद सिंह के बारे में जानते भी होंगे.  लेकिन बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कि सिख धर्म को फॉलो नहीं करते उनको गुरु गोविंद सिंह के बारे में इतना ज्यादा जानकारी नहीं है तो इसमें आपको गुरु गोविंद सिंह के पूरे जीवन परिचय उनकी शहादत और उनके बलिदान के बारे में बताने वाले हैं

सिख धर्म

अगर दुनिया के सबसे पवित्र धर्मों के बारे में बात की जाए तो उसमें सिख धर्म भी शामिल होता है अगर आप सिख धर्म के विचारों व उनके इतिहास को पढ़ेंगे तो आप और सिख धर्म में सीखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा सिख धर्म में आपको सबसे ज्यादा लोगों की मदद करना उन को खाना खिलाना और हमेशा लोगों की रक्षा करना सिखाया जाता है.

इसीलिए आपको हर एक गुरुद्वारे में हमेशा लंगर देखने को मिलेगा जहां पर खाना खिलाया जाता है दुनिया में सिख धर्म के गुरुद्वारे की एक ऐसी जगह है जहां पर आपको हमेशा खाना मिलेगा और दुनिया में जहां भी कोई पीड़ा दुख दर्द दिया कोई भी स्थिति आए वंहा गुरुद्वारे में लंगर हमेशा चलता रहता है.

क्रोना काल में भी बहुत सारे गरीब लोग ऐसे थे जो कि सड़कों पर सोते थे और उनको हमेशा एक दूसरे के ऊपर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन लॉकडाउन के कारण उन लोगों की भूख से बुरी हालत हो गई थी उन लोगों के लिए सिख धर्म के लोग के सामने आए.उन्होंने अलग-अलग जगह पर लंगर लगाया ताकि कोई भी गरीब इंसान भूखा ने उसके इसके अलावा भी आपको लगभग हर शहर में एक बड़ा गुरुद्वारा मिलेगा.

जहां पर हर रोज लंगर खिलाया जाता है सिख धर्म में सभी लोगों को एक समान समझा जाता है और सभी लोग एक दूसरे का आदर करते हैं सिख धर्म दुनिया के बहुत सारे देशों में फैला हुआ है और इनके दो मुख्य स्थान भारत और पाकिस्तान हैं क्योंकि जब भारत पाकिस्तान एक हुआ करते थे तब पंजाब प्रांत बहुत बड़ा होता था.

जब भारत और पाकिस्तान अलग हुए तब आधा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया आधा हिस्सा भारत में रह गया बहुत सारे भारत के लोग पाकिस्तान में भी गुरु नानक देव के जन्म स्थल और उनके समाधि स्थल पर जाते हैं गुरु नानक देव जी ही वही इंसान है जिन्होंने सिख धर्म की स्थापना की थी.

गुरु गोविंद सिंह

पूरा नाम गुरु गोबिन्द सिंह
अन्य नाम गोबिन्द राय (मूल नाम)
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म कब हुआ था 22 दिसंबर सन् 1666 ई.
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म कहां हुआ था पटना, बिहार, भारत
गुरु गोविंद सिंह जी की मृत्यु कब हुई 7 अक्तूबर सन् 1708 ई.
गुरु गोविंद सिंह जी की मृत्यु कहां हुई नांदेड़, महाराष्ट्र

दुनिया में कहीं पर भी किसी भी प्रकार की कोई घटना होती है तो सबसे पहले सिख धर्म के लोगों को सहायता के लिए कहते हैं और सिख धर्म के लोगों को लोगों की रक्षा करना और उनकी सहायता करने की यह सीख उनके गुरुओं द्वारा मिली है सिख धर्म में कई महान गुरु हुए हैं सिख धर्म में दसवें गुरु के रूप में गुरु गोविंद सिंह को जाना चाहता है.

जो कि एक बहुत ही महान सिख गुरु रहे हैं उनके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है गुरु गोविंद सिंह एक बहुत बड़े महान योद्धा भक्त और आध्यात्मिक नेता थे आप सभी ने गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ देखे होंगे यह गुरु ग्रंथ बहुत ही पवित्र माने जाते हैं और इन गुरु ग्रंथ में को गुरु गोविंद सिंह द्वारा ही पूरा किया गया था.

गुरु गोविंद सिंह अपने लोगों के बीच अपनी नैतिकता और निडरता और आध्यात्मिकता के रूप में जाने जाते थे गुरु गोविंद सिंह हमेशा शांति सहनशीलता से परिपूर्ण थे वे हमेशा सभी लोगों को एक समान रखते थे और वे लोगों को के भेदभाव से बचने के लिए कहते थे वे लोगों में शांति और लोगों की सेवा करने की सलाह देते थे रंगभेद का बहिष्कार करते थे

जीवन परिचय

गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 में हुआ था वह सिखों के दसवें गुरु थे उनके माता का नाम गुजरी जी था और उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर जी था गुरु गोविंद सिंह महाराज की 3 पत्नियां थी उनकी पत्नियों का नाम माता जीतो जी माता सुंदरी जी और माता साहिब देवा था गुरु गोविंद सिंह महाराज के चार बेटे थे.

जिनका नाम जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह और अजीत सिंह था गुरु गोविंद सिंह को बचपन में गोविंद राय के नाम से जाना जाता था गुरु गोविंद सिंह महाराज के पिता तेग बहादुर जी गुरु सिखों के नौवें गुरु थे गुरु गोविंद सिंह महाराज का जन्म पटना में हुआ था और गुरु गोविंद सिंह महाराज की जीवन की शुरू के कुछ साल वहीं बिताये.

फिर 1670 में उनका परिवार पंजाब में वापस आया गुरु गोविंद सिंह महाराज ने फारसी संस्कृत से शिक्षा प्राप्त की थी उन्होंने एक योद्धा बनने के लिए अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी ली. ऐसा माना जाता है कि 11 नवंबर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक गुरु गोविंद सिंह के पिता तेग बहादुर का सिर कटवा दिया.

जिसके बाद 29 मार्च 1676 को गुरु गोविंद सिंह को सिखों के दसवें गुरु के रूप में स्थान प्राप्त हुआ जिसके बाद गुरु गोविंद सिंह के ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां आ गई लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों के साथ अपनी शिक्षा को जारी रखा और उन्होंने लिखने पढ़ने के साथ घुड़सवारी.

दूसरे अस्त्र शस्त्र चलाने सीखे गुरु गोविंद सिंह ने अंग्रेजों के साथ कई लड़ाइयां भी लेडी और उनको बीजेपी प्राप्त हुई गुरु गोविंद सिंह अपने धर्म से प्यार करते थे और वह अपने धर्म के लिए हमेशा अटल रहे औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह महाराज के पुत्र जोरावर सिंह व फतेह सिंह को दीवारों में चुनवा दिया.

जब यह बात गोविंद सिंह को पता चली तब उन्होंने औरंगजेब को खुली चुनौती दे डाली और उनको अपने साम्राज्य का अंत होने के बारे में बताया 8 मई 1705 को मुख्तसर नामक जगह पर मुगलों के साथ एक भयानक युद्ध हुआ जिसमें गुरु गोविंद सिंह को विजय मिली औरंगजेब के मरने के बाद गुरु गोविंद सिंह के पीछे दो पठान लग गए.

जिसमें एक का नाम वजीर खान था वजीर खान गुरु गोविंद सिंह की हत्या करना चाहता था लेकिन उसको कभी कामयाबी नहीं होगी लेकिन लड़ाई के समय गुरु गोविंद सिंह महाराज के दिल पर एक गहरी चोट आई जिसके कारण उनकी 42 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई.

गुरु गोविंद सिंह महाराज की जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है उनका कहना था कि हमें किसी भी इंसान को न तो डर आना चाहिए और ना ही किसी इंसान से कभी डरना चाहिए हमें हमेशा एकता और प्रेम भाव के साथ रहना चाहिए और गुरु गोविंद सिंह महाराज हमेशा यही शिक्षा देती थी कि सभी को एक दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए और भेदभाव को खत्म करना चाहिए.

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई गुरु गोविंद सिंह महाराज के जीवन परिचय के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी आपको पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहती हो तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें.

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