चाय पत्ती की खोज किसने की और Tea बैग का अविष्कार किसने किया

चाय पत्ती की खोज किसने की और Tea बैग का अविष्कार किसने किया

हम सुबह उठते ही हर रोज एक चीज जरूर लेते हैं और वह चीज हमारे शरीर में जोश और शक्ति भर देती है और हमारा शरीर एकदम स्वस्थ सा महसूस हो जाता है और हम उस चीज का सेवन हर रोज करते हैं और दिन में कई बार करते हैं लेकिन सुबह जब हम उस चीज को पीते हैं तो कुछ मज़ा और ही होता है

हम बात कर रहे हैं चाय की शायद आज के समय में कोई ही आदमी ऐसा होगा जो कि चाय नहीं पीता होगा क्योंकि सुबह उठते ही जब एक कप चाय या एक प्याली चाय की मिलती है तो हमारा मन बिल्कुल हर्षित हो जाता है और हम बिल्कुल खुश और तंदुरुस्त दिखाई देने लगते हैं और जब तक हम चाय नहीं पीते हैं

तो हमारा आलस्य भी नहीं उतरता है और यह हमारे शरीर के अंदर जोश और ताजगी पैदा कर देती है और आज के समय में हम चाय के साथ ही काम करते हैं क्योंकि आप कहीं भी जाओ तो पहले आपको चाय के बारे में पूछा जाता है और उसके बाद ही आपको कुछ काम करने के लिए बोला जाता है

क्योंकि चाय हमारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पेय पदार्थ है और यह आप सभी भी जानते हैं कि चाय हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है तो आज हम आपको इस पोस्ट में चाय पत्ती और उसके बैग का इतिहास के बारे में बताएंगे. किस तरह से चाय की शुरुआत की गई. किस तरह इसके बैग को बनाया गया

और कहां से इसकी शुरुआत की गई इसके बारे में पूरी जानकारी इस पोस्ट में नीचे हम आपको बताएंगे वैसे तो दुनिया में लोगों की अलग अलग राय होती है कि चाय की शुरुआत कहां से हुई किसी का कुछ और मानना है और किसी का कुछ और मानना है लेकिन चाहे का इतिहास आज से बहुत पुराना है तो नीचे हम आपको चाय पत्ती और उसके बैग का इतिहास के बारे में जानकारी दे रहे हैं

चाय का इतिहास

History of tea in Hindi – वैसे तो अच्छी चाय का इतिहास चीन से संबंध रखता है और चाय को सबसे पहले बार चीन में बनाया गया था और चाय का इतिहास छोटा नहीं है यह बहुत बड़ा है और आज से बहुत समय पहले लगभग 5000 साल पहले से चाय का इतिहास माना जाता है और चाय की खोज नहीं की गई थी

बल्कि इसकी खोज अपने आप हुई थी क्योंकि एक बार चीन के सम्राट शैन नुंग अपने बगीचे के अंदर पानी को उबाल रहे थे क्योंकि सम्राट को पानी उबालकर पीने की आदत थी और वह जब पानी उबाल रहे थे तो उसके बगीचे के अंदर एक पेड़ की कुछ पत्तियां पानी में आकर पानी में गिर गई और पानी में उन पतियों के गिर जाने के बाद सम्राट ने देखा कि पानी का रंग बदल गया है

और इसके अंदर खुशबू भी आने लगी है और फिर सम्राट ने उस पानी को पिया तो सम्राट को वह पानी बहुत पसंद आया और सम्राट को उस पानी को बार बार उबाल कर पीने की आदत हो गई और वह सम्राट इस चीज को दुनिया में किसी को नहीं बताना चाहता था और जब भी कोई उसके राज्य में आता था

तो वह उसके मेहमान नवाजी के लिए उस पतियों के पानी को उबाल कर देता था जो कि उन लोगों को बहुत पसंद आती थी.  और इस तरह से वह चाय सम्राट के महल से पूरे चीन के अंदर फैल गई और धीरे-धीरे चीन के बाद वह जापान में भी पहुंच गई वैसे तो राजा किसी को इस चीज के बारे में बताना नहीं चाहता था

लेकिन जब इस चाय का पिता तो लोगों को लगा चला कि यह चाय है और इसी की रेसिपी राजा किसी को बता नहीं रहा है तो बहुत सालों बाद बौद्ध गुरु ने चाय के को बनाने के बारे में पता किया उसने किसी तरह से चाय की रेसिपी को का पता लगाया और फिर यह चाय चीन के बाद जापान में फैल गई

और जापान के अंदर यह चाय फैल जाने और जापान के बाद यह चाय की रेसिपी दुनियाभर में फैल गई और दुनियाभर के लोग चाय का इस्तेमाल करने लगे.इस तरह से चाय दुनिया के सभी देशों के अंदर पहुंच गई तो अब हम आपको बताएंगे कि भारत के अंदर चाय किस तरह से फैली और भारत की चाय दुनिया भर में किस तरह से मशहूर हुई

भारत में चाय का इतिहास

History of tea in India in Hindi – भारत में भी चाय का बहुत हैरान कर देने वाला इतिहास है क्योंकि भारतीय सबसे पहली बार जब गवर्नर लॉर्ड विलियम बैंटिक आए जो कि पहली बार 1834 में भारत आए थे तो उन्होंने देखा कि भारतीय लोग पानी के अंदर पत्तियां डालकर पी रहे हैं तो उसने लोगों से यह बात पूछी तो लोगों ने उसे चाय को दवाई के तौर पर बताया

क्योंकि चाय एक दवाई की तरह  मानी जाती है चाय पीने से हमारे शरीर में थकावट नहीं होती है इसलिए लोगों ने उसे दवाई के रूप में बताया था और फिर लॉर्ड विलियम बैंटिक ने एक समिति का गठन किया जिसके बाद भारत के अंदर धीरे-धीरे चाय का काम शुरु किया गया और 1835 में असम के अंदर चाय के बाग लगाए गए. 

गवर्नर लॉर्ड विलियम बैंटिक द्वारा असम में चाय के बाग लगाए जाने के बाद 1953 में Tea बोर्ड की स्थापना की गई जिसके बाद भारत की चाय भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बिकने लगी और उनके अंदर बहुत तेजी से मांग होने लगी और आज भी भारत की चाय दुनियाभर में फेमस हो चुकी है.   

चाय पत्ती के बैग का इतिहास

History of Tea Bags in Hindi – हमने आपको अब ऊपर चाय के इतिहास के बारे में बताया है और नीचे हम आपको अब चाय के बैग के इतिहास के बारे में बतायेगे किस तरह से चाय का बैग तैयार किया गया और कितने बदलाव इस बैग में  हुए. सबसे पहले किसी धातु से बनाए गए डिवाइस को इस्तेमाल किया जाता था

जिसे चाय का बैग कहा जाता है ऐसे धातु के बनाए गए बर्तन में चाय पत्ती को भरके गरम पानी के अंदर डुबोया जाता था इसके बाद फिर कुछ अलग अलग तरह के चाय पत्ती के बैग को बनाना शुरू किया गया कुछ चाय पत्ती के बैग को गोंद से चिपकाया जाता था लेकिन गूंज से चिपकाए गए बैग की वजह से चाय का स्वाद खराब हो जाता था

फिर 1901 में दो महिलाओं Roberta C Lawaon और Mary McLaren ने कॉटन के कपड़े का इस्तेमाल करके चाय के बैग को  बनाकर  Tea Leaf holder नाम से पेटेंट दर्ज करवाया. इस बैग को चाय पत्ती के पाउडर से भर कर बनाया गया था.

फिर उसके बाद 190में इसका पेटेंट भी दर्ज कर दिया गया. यह तरीका बहुत अच्छा तरीका माना गया था लेकिन इन चाय के बैग का विज्ञापन ठीक से कर नहीं पाए इसलिए बहुत सारे लोगों को पता भी नहीं चल पाया फिर 1908 में चाय पत्ती का कारोबार करने वाले  Thomas Sullivan चाय पत्ती की कुछ सैंपल लोहे के डिब्बे में भेजा करते थे

क्योंकि उस समय में चाय पत्ती बहुत महंगी हुआ करती थी इसलिए अपना खर्चा बताने के लिए Thomas Sullivan ने सिल्क के कपड़े से बने बैग का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया चाय पत्ती का कारोबार करने वाले Thomas Sullivan के ग्राहक इस बैग को सीधे गरम पानी में डूबा कर पीया करते थे. 

फिर भी इसी तरह के और बैग मंगवाने लगे उनकी मांग फिर ज्यादा होने लगी इन  बैग्स को हाथों से बनाया गया था सिल्क कपड़े के बने हुए बैग बहुत ज्यादा महंगे होते थे.  इसलिए पारदर्शी कॉटन के कपड़े का इस्तेमाल किया गया और वहीं से इस कपड़े की सिलाई कर के बैग बनाए गए चाय पत्ती तैयार होने के बाद जो उसका पाउडर बचता था

तो उस पाउडर को चाय के बैग को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे लेकिन जैसे-जैसे चायपत्ती के बैग की मांग बढ़ी तो उस समय पर बैग को बनाने के लिए अलग से पाउडर को बनाना शुरू किया गया.

फिर उसके बाद  1930 में  William Hermanson ने कागज के बनाए जाने वाले चाय के बैग का आविष्कार किया और उन्होंने अपना पेटेंट Salada चाय की कंपनी को बेच दिया 1944 में आयताकार चाय के बैग आने शुरू हो गए थे और इस बैग के आने के बाद एक कप चाय की कीमत बहुत कम हो गई और इस समय में आसानी से चाय पिए जाने लगी. 

1944 में आयताकार चाय के बैग आने के बाद दुनिया भर में चाय के बहुत बड़े बड़े और महंगी चाय के बैग बनाए जाने लगे और आज के समय में दुनिया में बहुत महंगे चाय के बैग मौजूद हैं जिसके बारे में आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं हम आपको बता दें कि दुनिया का ज्यादा महंगा चाय का बैग पीजी टिप्स डायमंड टी और इस चाय के एक बैग की कीमत लगभग 8 लाख रूपय है

और यह चाय इतनी महंगी नहीं है क्योंकि यह चाय सिर्फ अपने बैग के कारण ही महंगी है इसके एक बैग की कीमत इतनी है इसलिए यह चाय ज्यादा महंगी है क्योंकि इसके बैग के ऊपर 280 डायमंड लगे हुए हैं और इस चाय के एक बैग को बनाने में लगभग 3 महीने से भी ज्यादा समय लगता है और इस से भी महंगी एक और चाय है

जो कि चाइना के फूजियान वूईसन शहर में मिलती है और इस चाय को जीवन रक्षक चाय माना जाता है इसलिए इस चाय के एक बैग की कीमत 9 करोड़ रुपए हैं..

हमने आज आपको इस पोस्ट में चाय के इतिहास और चाय के बैग के इतिहास आविष्कार किसने किया – who discovered tea in india ,who discovered tea first time in the world in hindi , Who invented Tea bag in Hindi के बारे में जानकारी दें. तो हमारे द्वारा दी गई है

जानकारी आपको बहुत पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं.

3 thoughts on “चाय पत्ती की खोज किसने की और Tea बैग का अविष्कार किसने किया”

  1. किसी भी एक टॉपिक के उपर इतनी सटीक और सही जानकारी हमें सिर्फ आपकी वेबसाइट पर ही मिलती है! इस तरह की पोस्ट के लिए लेखक को hindishortstories.com वेबसाइट की और से शुभकामनाए !
    धन्यवाद…

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