पेट के कीड़े क्यों उत्पन्न होते हैं पेट के कीड़े की घरेलू दवा
जब किसी इंसान को कोई बड़ी या छोटी बीमारी होती है तब उसके पीछे कुछ ना कुछ कारण जरूर होता है लेकिन कई बार हमारे शरीर में ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है जिनसे कई प्रकार की अलग-अलग बीमारियां उत्पन्न होने लगती है वैसे तो यह समस्याएं इतनी ज्यादा बड़ी नहीं होती लेकिन उन से होने वाली बीमारियां खतरनाक हो सकती हैं इसी तरह की बीमारी पेट के कीड़े भी है जो कि समय पर ध्यान न देने से कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं तो आज के इस प्रयोग में हम जानेंगे कि पेट के कीड़े क्यों उत्पन्न होते हैं उनसे कैसे बचें.
पेट के कीड़े क्यों उत्पन्न होते हैं
वैसे तो सामान्य तौर पर देखा जाए तो पेट के कीड़ों की समस्या ज्यादातर छोटे बच्चों में ही उत्पन्न होती है लेकिन कई बार यह समस्या किसी बड़े या भूढ़े इंसान में भी उत्पन्न हो जाती है क्योंकि हमारे शरीर की आंतों में कई छोटे-छोटे परजीवी होते हैं और जब भी कोई इंसान या बच्चा कोई भी चीज खाता पीता है तो वह छोटे छोटे सूक्ष्म परजीवी खाद्य पदार्थों से मिलने वाले पोषक तत्व को सोचने लगते हैं और इसके कारण वह इंसान बिल्कुल कमजोर और दुबला पतला हो जाता है.
उस इंसान को बहुत ज्यादा भूख भी लगने लगती है लेकिन वह इंसान चाहे कितने भी पोस्टिक आहार का सेवन करें उसको कमजोरी बनी रहती है और उसका शरीर उभर नहीं पाता और अगर इस समस्या से जल्दी से जल्दी छुटकारा नहीं मिलता तब उस इंसान के शरीर में और भी कई बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कुपोषण आंत में अवरोध, एलर्जी व एनीमिया आदि इसलिए पेट के कीड़ों की समस्या को आम नहीं समझना चाहिए और इसका पता लगते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
पेट के कीड़ों के कारण
आपके लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि आखिर किसी भी बच्चे बूढ़े या जवान पुरुष के पेट में कीड़े किस वजह से उत्पन्न होते हैं वैसे सामान्य तौर पर देखा जाए तो इसके बहुत सारे कारण होते हैं लेकिन इसके कुछ मुख्य कारण है जैसे ज्यादा अमरूद खाना, अध्पका मांस खाना,ज्यादा अधिक मीठे पदार्थों का सेवन करना या गुड़, चीनी, शक्कर आदि का सेवन करना, ज्यादा मिठाइयों का सेवन करना, बिना हाथ साफ़ किये भोजन करना, मुंह से नाखून चबाना, किसी भी चीज को बिना धोए सीधे उठाकर खाना, तो यह कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जिनसे किसी इंसान के पेट में कीड़े उत्पन्न हो सकते हैं
पेट के कीड़ों के लक्षण
अगर किसी इंसान के पेट में कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं तब उसको बहुत सारे लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे इसका सबसे बड़ा और प्रमुख कारण उस पर इंसान का शरीर बिल्कुल दुबला पतला हो जाएगा,उसको कमजोरी महसूस होगी, उसको बहुत ज्यादा भूख लगेगी, उसको पेट में हल्का हल्का दर्द महसूस होगा, कभी भूख न लगने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है, उसको पेट के बल सोने की इच्छा होगी, चेहरा पीला दिखाई देने लगेगा, बार बार नाक खुजलाने का मन करेगा, आंखों के नीचे काले घेरे पड़ जाएंगे, उसको बहुत ज्यादा नींद आएगी, पेशाब में सफेद खेड़िया जमने लगेंगी, नींद में बेचैनी होगी, जी मचलाहट होने लगेगी, लार टपकने लगेगी, हाथों पैर ठंडे रहने लगेंगे, उस इंसान का मन भी चिड़चिड़ा हो जाएगा, वह बिल्कुल जिद्दी हो जाएगा, बात बात पर चिल्लाना या रोना शुरू कर देगा तो ऐसे यह बहुत सारे लक्षण है
क्या-क्या खाना चाहिए
जब किसी इंसान के पेट में कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं तब उसको अपने खान-पान के ऊपर ध्यान देने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि इस समस्या के उत्पन्न होने पर उसको बहुत ज्यादा भूख लगती है और वह बार-बार किसी ना किसी चीज को खा लेता है इसलिए अगर वह गलत चीजों का सेवन करता है तब उसको यह समस्या और भी बढ़ सकती है
- उस इंसान को कच्चे नारियल का पानी या कच्चा नारियल रोजाना खाना चाहिए
- हर रोज सुबह और शाम टमाटर गाजर या बथुए का रस पीना चाहिए
- आटे में नमक या सोडा मिलाकर खाना चाहिए
- हर रोज सुबह शाम चार-पांच लहसुन की कच्ची कलियां शहद के साथ खानी चाहिए
- भोजन के बाद करेले, तुलसी, पुदीने का रस या एक कप छाछ नमक मिलाकर पीनी चाहिए
- भोजन में मसूर, मूंग, अरहर की दाल और पुराने चावल आदि शामिल करने चाहिए
- सब्जियों में करेला, बथुआ, पलवल, पुदीना, प्याज, मेथी, टमाटर, गाजर ,नींबू ,पेठा ,अखरोट आदि का सेवन करना चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- उस इंसान को कम से कम मांस मछली अंडा खाना चाहिए या उसको अच्छे से पका कर खाना चाहिए
- उस इंसान को बेसन की चीजों का सेवन करना चाहिए
- उड़द की दाल तेल आलू पीड़ा का सेवन करने से बचना चाहिए
- कम से कम मिठाईयां चॉकलेट चीजों का सेवन करना चाहिए
- फलों और सब्जियों को बिना धोए बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए
क्या-क्या करना चाहिए
- आपको सुबह-सुबह खुली हवा में घूमना चाहिए वे लंबे सांस लेने चाहिए
- जमीन पर पड़ी हुई चीजें उठाकर नहीं खाना चाहिए
- भोजन करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए
- अपने नाखूनों को समय समय पर समय समय पर काटते रहना चाहिए ताकि उनमें मिट्टी आदि जमा न हो सके
- आपको पानी को उबालकर या फिल्टर करके ही पीना चाहिए
- बच्चों को मिट्टी खाने या मुंह में उंगली डालने की आदत छुड़वाने चाहिए
- बच्चों को और डिस्पेंसरी में मिलने वाली कीड़ों की गोली या दवाई देनी चाहिए
क्या क्या नहीं करना चाहिए
- बच्चों को मिट्टी नहीं खाने देनी चाहिए उसके हाथ बिल्कुल साफ सुथरे रखने चाहिए
- अपने नाखूनों को ज्यादा बढ़ाने नहीं रखना चाहिए वह और गंदी जगह पर हाथ नहीं मारने चाहिए
- हमेशा साफ़ में पानी का सेवन करना चाहिए
- ज्यादा गंदी वाली जगह पर मास्क लगाकर जाना चाहिए
- किसी भी चीज को उठाकर मुंह में नहीं डालना चाहिए जैसे धागे, तार और पेन आदि
पेट के कीड़े की आयुर्वेदिक दवा
फिर भी अगर किसी बच्चे बूढ़े या जवान ने यह समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर की सलाह चाहिए लेकिन इसका आप कुछ आयुर्वेदिक चीजों से भी पीछा छुड़वा सकते हैं जिनके बारे में हमने आपको नीचे बताया है उन सभी को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं.
- वासू क्लीयर कैपसूल – वयस्कों को 1-1 कैपसूल दिन में 3 बार एवं बच्चों को 1 कैपसूल प्रतिदिन दें। यह उदर के समस्त प्रकार के कृमियों के लिए उपयोगी है।
- पियर्ल ट्रिआनविद सेना सीरप – बच्चों को (1 वर्ष आयु के) 10 मिली० की केवल 1 मात्रा 5 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को 20 मिली० की मात्रा दें।
- मैक्सवेल मैक्सवर्म टेबलेट – वयस्कों को 2-2 टिकिया दिन में 23 बार एवं बच्चों को 1-1 टिकिया दिन में 3 बार टें।
- एमिल हर्वोनिल टेवलेट – 1 – 2 गोली प्रतिदिन खाली पेट अथवा ॥ को सोते समय दें। आन्त्रकृमि में लाभकारी है।
- संजीवन रिसर्च कृमिनोल टेबलेट -2-2 गोली रात को सोते समय गर्म दूध के साथ 7 दिनों तक दें। यह समस्त प्रकार के उदर कमियों में लाभकारी है।
पेट के कीड़े की घरेलू दवा
कद्दू दाने के सदृश कृमियों आँत से बाहर निकालने के लिए लालफूल के कद्दू के 60 ग्राम बीजों की गिरी को समान भाग मिश्री में मिलाकर 250 मिली० पानी में रगड़कर रोगी को पिलाये और इसके 1-2 घंटे के बाद ही 2 औंस एरण्ड तेल दूध में मिलाकर पिलायें।
दाडिम मूल त्वक् 60-120 ग्राम को 5 पाव पानी में पकाकर इसकी 3 मात्रायें बनाकर 1-1 घंटे के अन्तराल पर रोगी को पिलाकर 1 घंटा के बाद विरेचन दें।
सूत्र कृमियों में नीम की छाल अथवा ताजा पत्तों के 250 ग्राम क्वाथ में 1 तोला नमक मिलाकर 2-3 दिन तक रोगी को बस्ति देने से तथा गुदा को साबुन से धोकर स्वच्छ रखने से बहुत लाभ होता है।
नीम की निबौलियाँ 1 तोला, विडंग 1 तोला, खुरासानी अजवायन, पलाशबीज 1 तोला से बनाई गोलियों के या सेंके हुए पलाशबीज, विडंग, अजवायन और कमीला प्रत्येक समान भाग के चूर्ण को आधा माशा की मात्रा में कुछ दिन तक 3-4 बार सेवन करने से समस्त प्रकार के कृमि आँत से गुदा मार्ग द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
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