माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी क्या होता हैं
हमारी धरती के ऊपर अनेक प्रकार के जीव जंतु व छोटे वायरस मौजूद हैं. जो कि नियमित रूप से धरती पर पैदा और खत्म होते रहते हैं. इन छोटे जीवो की अवधि ज्यादा नहीं होती लेकिन कई बार यह छोटे जीव इतनी तेजी से फैलते हैं. कि इनका खात्मा करना बहुत मुश्किल हो जाता हैं.
और यह छोटे जीवन किसी भी मनुष्य, जानवर या जीव-जंतु प्रजाति के लिए जानलेवा भी साबित हो सकते हैं. इसी का उदाहरण आपने करोना वायरस या एड्स जैसी बीमारी के वायरस में देखा होगा यह वायरस देखने में बहुत सूक्ष्म होते हैं. और इनसे काफी तेजी से महामारी भी फेल जाती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं.
कि इन वायरस का पता कैसे लगाया जाता हैं. और इन वायरस को कैसे देखा जाता हैं. शायद आप इसके बारे में इतना ज्यादा नहीं जानते होंगे तो आज के इस ब्लॉग में हम आपको इसी फील्ड के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं. इस ब्लॉग में हम आपको माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं.
माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी क्या होता है
जब भी हमारे शरीर में किसी प्रकार की बीमारी उत्पन्न होती हैं. तो सबसे पहले डॉक्टर हमारे शरीर के अलग-अलग टेस्ट करते हैं. और उन टेस्ट के आधार पर ही हमारी बीमारी का पता लगाया जाता हैं. और उसी के हिसाब से हमें उपचार भी दिया जाता हैं. लेकिन बहुत सारी बीमारियां ऐसी होती हैं.
जो कि माइक्रोस्कोप के जरिए पता लगाई जाती हैं. क्योंकि हमारी धरती के ऊपर ऐसे बहुत सारे खतरनाक वायरस व बैक्टीरिया मौजूद हैं. जो कि हमारे शरीर में पहुंचने पर हमें मौत के मुंह में भी धकेल सकते हैं. इसीलिए जब से करोना महामारी आई हैं. तब उसके बाद से माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी जैसे वैज्ञानिकों की मांग बढ़ने लगी हैं.
माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी हमारे शरीर में होने वाली छोटी से छोटी बीमारी का पता लगाने में सक्षम होते हैं. माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी जीव विज्ञान की एक शाखा हैं. जिसके अंदर कई अलग-अलग प्रकार के क्षेत्र शामिल हैं. अगर आप माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी में पढ़ाई करते हैं.
तो आपको इस फील्ड में हमारी प्रकृति के ऊपर मौजूद विभिन्न प्रकार के छोटे वायरस, कवक, बैक्टीरिया जैसी चीजों के बारे में अध्ययन करवाया जाता हैं. जिससे आप आगे चलकर किसी भी खतरनाक बीमारी का आसानी से पता लगा सकते हैं. और उसका उपचार कर सकते हैं. माइक्रोबायोलॉजिस्ट मनुष्य जानवर पेड़ पौधों या दूसरी किसी प्रजाति पर पड़ने वाली महामारी के अच्छे और बुरे प्रभाव को जानने की कोशिश करते हैं. जिसमें माइक्रोस्कोप का भी सहारा लिया जाता है.
माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी में कैरियर कैसे बनाएं
जब भी दुनिया में कोई महामारी आती हैं. तो वह महामारी हमें कुछ ना कुछ सीख जरूर देकर जाती हैं. और इसी तरह से जब से करोना महामारी आई हैं. तब से हमें माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी जैसे वैज्ञानिकों का महत्व भी समझ में आने लगा हैं. और अब लगातार इन लोगों की मांग बढ़ती जा रही हैं.
अगर आप इस फील्ड में कैरियर बना लेते हैं. तो आपके भविष्य के लिए एक बहुत ही अच्छा अवसर होने वाला हैं. अगर आप इस फील्ड में कैरियर बनाना चाहते हैं. तो इसके लिए आपको सबसे पहले 12वीं क्लास साइंस विषय के साथ पास करनी होती हैं. 12वीं क्लास में आपको फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी और जूलॉजी जैसे विषयों को चुनना होता हैं. जिसमें आपको कम से कम 60% अंक प्राप्त करने पड़ते हैं.
उसके बाद में आपको माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी से संबंधित अलग-अलग कोर्स में दाखिला लेना पड़ता हैं. जहां पर आपको माइक्रोबायोलॉजी, जीवन विज्ञान जैव प्रौद्योगिकी, जैव रसायन जैसे विषयों में डिग्री प्राप्त करनी होती है लेकिन किसी भी अनुसंधान में दाखिला लेने के पहले आपको एंट्रेंस एग्जाम देना पड़ता हैं.
अगर आप एंट्रेंस एग्जाम पास कर लेते हैं. तो आपको आसानी से किसी भी अनुसंधान में दाखिला मिल जाएगा और अगर आप 12वीं क्लास में मेरिट प्राप्त करते हैं. तो आपका मेरिट के आधार पर भी एडमिशन हो जाता हैं. जहां पर आपको हमारी प्रकृति के ऊपर मौजूद बिल्कुल सूक्ष्म बैक्टीरिया, वायरस, कवक और प्रोटोजोआ जैसी चीजों के बारे में अध्ययन करवाया जाता हैं. लेकिन इस फील्ड में कैरियर बनाना इतना आसान नहीं होता हैं. इस फील्ड में कैरियर बनाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ती हैं. और काफी सारे अलग-अलग विषयों के ऊपर रिसर्च भी करनी पड़ती है.
Microbiology and Virology के लिए जरूरी स्किल्स
अगर आप माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी मे कैरियर बनाना चाहते हैं. तो इस फील्ड में कैरियर बनाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ती ही हैं. इसके साथ ही आपके पास कुछ ऐसी जरूरी स्किल भी होनी चाहिए जो कि आपको इस फील्ड में सफल बनाने में मदद करती हैं. क्योंकि यह एक बहुत ही कठिन फील्ड होता हैं. जहां पर आपको आगे चलकर कई अलग-अलग जगहों पर काम करना पड़ता है
- आपके अंदर क्रिटिकल थिंकिंग होना जरूरी है
- आपके पास धैर्य सहनशीलता का होना भी आवश्यक है
- आपको अलग-अलग परेशानियों का हल निकालना आना चाहिए
- आपके अंदर रिसर्च स्किल का होना भी जरूरी है
- आपको कम्युनिकेशन स्किल की भी आवश्यकता पड़ती है
- आपके अंदर कन्वेंशनल स्किल का भी होना आवश्यक है
- आपके अंदर लीडरशिप की क्वालिटी होनी चाहिए
- आपको नई नई चीजों के बारे में सीखने की दिलचस्पी होनी चाहिए
- आपको कंप्यूटर का ज्ञान होना आवश्यक है
- आपकी पकड़ फिजिक्स, केमेस्ट्री, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान जैसी चीजों में अच्छी होनी चाहिए
माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी में जॉब के अवसर
अगर आप माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी में डिग्री प्राप्त कर लेते हैं. तो उसके बाद में आपके सामने जॉब की कमी नहीं रहती क्योंकि यह एक ऐसा फिल्म हैं. जिसमें लगातार जॉब के अवसर बढ़ते जा रहे हैं. इस फील्ड में डिग्री प्राप्त करने के बाद में आप Research Head, Research Associate, Virologist, Assistant Professor, Bacteriologist, Mycologist जैसे पदों पर आसानी से जॉब कर सकते हैं. इसके लिए आपको कई अलग-अलग संस्थानों के साथ भी जुड़ना पड़ सकता है.
माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी में सैलरी
अगर आप इस फील्ड में कैरियर बना लेते हैं. तो उसके बाद में आपको ऊपर बताए गए कई अलग-अलग फील्ड में जॉब करने का अवसर मिलता हैं. जहां पर आपको अच्छा सैलरी पैकेज मिल जाता हैं. इस फील्ड में किसी भी पद पर काम करते समय आपको शुरुआती समय से ही 30000 से 50000 पर मासिक सैलरी मिल जाती हैं.
इसके अलावा आपके पास अच्छा एक्सपीरियंस हैं. तो आपको ₹100000 तक मासिक सैलरी भी मिल जाती हैं. यानी इस फील्ड में आप को सैलरी पैकेज काफी अच्छा देखने को मिल जाता है
हम उम्मीद करते हैं. कि हमारे द्वारा बताए गए माइक्रोबायोलॉजी और वायरोलॉजी के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हैं. और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं. तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें