हकलाने का क्या कारण है तुतलापन दूर करने के घरेलू उपाय
जब घर में छोटा बच्चा पैदा होता है तब उसकी परवरिश के ऊपर माता पिता को ध्यान देना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि अगर जन्म के बाद छोटे बच्चे के ऊपर ध्यान ना दिया जाए तब उसको कुछ ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है जिनसे वह थोड़ी जिंदगी पीछा नहीं छूडा पाता क्योंकि छोटे बच्चे बिल्कुल नाजुक होते हैं.
लेकिन कई बार छोटे बच्चों में जन्म के बाद कुछ ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है जिनसे हमें बहुत परेशानी होती है इसी तरह की एक समस्या हकलाना व तुतलाना जो कि आमतौर पर छोटे बच्चों में जन्म से ही उत्पन्न हो सकती है तो आज के इस ब्लॉग हम इसी समस्या के ऊपर बात करने जा रहे हैं आप कि इस ब्लॉक में हम आपको बताएंगे कि अपने बच्चों को हकलाने व तुतलाने की समस्या से कैसे बचाएं.
हकलाना व तुतलाना
वैसे देखा जाये तो कोई भी साधारण छोटा बच्चा डेढ़ से दो साल की उम्र में अपने आसपास की चीजों से या अपने आसपास के लोगों को देखकर बातचीत करना वह बोलने की कोशिश करना शुरू कर देता है जब शुरू में कोई भी छोटा बच्चा बोलने की कोशिश करता है या बोलना सीख रहा होता है तब उसकी बोली हमें ज्यादा समझ में नहीं आती और जब उसकी आवाज कुछ समझ में आनी शुरू होती है तो सबसे पहले उसके माता-पिता या उसके आसपास के लोगों को ही उसकी आवाज समझ में आती है और शुरू शुरू में छोटा बच्चा अपनी तोतली आवाज में ही बोलना शुरू करता है लेकिन जिस तरह से उसकी उम्र बढ़ती है तो तब उम्र के साथ-साथ उसकी आवाज साफ हो जाती है जब कोई बच्चा 5 से 6 वर्ष का हो जाता है तब उसके बाद उसके द्वारा बोली जाने वाली लगभग सभी आवाज बिल्कुल साफ सुनाई देने लगती है
लेकिन जब कोई बच्चा 5 से 6 वर्ष तक की आयु का होता है तब उसके हकलाने की आदत नहीं जाती लेकिन कुछ समय बाद में यह समस्या भी दूर हो जाती है क्योंकि जब कोई इंसान बोलता है तब उसके शरीर से लगभग 100 से ज्यादा मांसपेशियां काम करती है और जब सारी मांसपेशियां एक दूसरे के साथ मिलकर काम करती है तभी हमारी आवाज बिल्कुल साफ निकलती है अगर हमारे शरीर में कुछ मानसिक दबाव है तब हमारी आवाज नहीं निकलती और इसी कारण से जब छोटे बच्चे बोलने की कोशिश करते हैं तब उनकी लगभग सभी मांसपेशियां साथ काम नहीं करती और उनको हकलाने तुतलाने की समस्या होती है. लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या समय के साथ साथ बिल्कुल दूर हो जाती है
हकलाने व तुतलाने का कारण
वैसे तो जब किसी बच्चे में हकलाने तुतलाने की समस्या रह जाती है उसके पीछे कई कारण होते हैं लेकिन इनमें से कुछ मुख्य कारण होते हैं जैसे – जन्म के बाद बच्चे में गंभीर बीमारी आ जाना, बच्चे की जीभ ठीक से काम न करना, बच्चे का समय से पहले जन्म होना, मांसपेशियों की जन्मजात विकृतियां होना,बच्चे का अपरिचित लोगों से मिलना, कम सुनना या बिल्कुल भी नहीं सुनना, बच्चे का माता पिता के प्रति क्रूर व्यवहार होना, हीनता का बोध होना, बच्चे का माता-पिता से पिटाई का होना, अध्यापक से पिता या डांट का डर होना, किसी चोट से पेशियों की जकड़न होना,
मस्तिष्क में विकार उत्पन्न होना, अपने बहन भाई के प्रतीक्षा ईर्ष्या का भाव रहना, मानसिक दबाव में आकर मांसपेशियों का खींच जाना, बच्चे को किसी चीज का गहरा सदमा लगना, इसके अलावा बच्चे में टाइफाइड, रसोली, या श्वास क्रिया में कमजोरी की समस्या उत्पन्न होने से बच्चे में हकलाने की समस्या उत्पन्न हो सकती है, लेकिन कुछ बच्चों के माता-पिता की आदत होती है कि वे कुछ शब्दों को सही से नहीं बोलते जिसके कारण बच्चे भी उन शब्दों को वैसा ही बोलने लगते हैं इसलिए माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वह खुद भी सही शब्दों का उच्चारण करें और बच्चे को भी सही बोलना सिखाए
हकलाने तुतलाने के लक्षण
जब किसी बच्चे में हकलाने तुतलाने की समस्या उत्पन्न होती है तब उसमें ज्यादा लक्षण नहीं मिलते हैं इस समस्या में बच्चे को बोलते समय हकलाहट या फिर बच्चे की आवाज तोतली निकलती है लेकिन कई बार बच्चे अपनी इस समस्या को छुपाने की कोशिश करते हैं ताकि दूसरे लोग उसका मजाक ना बनाएं इसलिए कई बच्चे चिड़चिडे हो जाते हैं और इस समस्या का भाव उनके चेहरे पर बिल्कुल साफ देखा जा सकता है लेकिन इस समस्या में बच्चे के माता पिता का कर्तव्य बढ़ जाता है कि भी अपने बच्चे को खुश व तंदुरुस्त रखने की कोशिश करें
क्या क्या खाएं
जब किसी बच्चे हकलाने तुतलाने की समस्या उत्पन्न होती है तब माता पिता का कर्तव्य बनता है कि उसको गलत चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
- बच्चे को हमेशा गेहूं के आटे की रोटी, मूंग मसूर और अरहर की दाल, पुराने साठी चावल और भात आदि का सेवन कराना चाहिए
- बच्चे को हरी सब्जी में जैसे पालक, लौकी, शलगम और मेथी आदि का सेवन कराना चाहिए
- फलों में अनार, सेब, पपीता, अंगूर, आंवले आदि खिलाने चाहिए
- बच्चे को हमेशा हल्का व सुपाच्य भोजन देना चाहिए एक चम्मच पिसे हुए आंवले में घी मिलाकर खिलाना चाहिए
- बच्चे को 2-3 बार दालचीनी चबाकर चूसाते रहें
- सोते समय कुछ छुहारे दूध में उबालकर खाने चाहिए और फिर दूध को पीना चाहिए
- रात को 10-12 बादाम पानी में भिगोकर सुबह पीस लें और 25 ग्राम मक्खन में मिलाकर नाश्ते के बाद कुछ समय तक नियमित खाएं
क्या क्या नहीं खाना चाहिए
- अपने बच्चे को आलू और कटहल की सब्जी नहीं देनी चाहिए
- बच्चे को कम से कम कड़क चाय, सिरका, कॉफी देनी चाहिए
- बच्चे को मांस मछली अंडा व खटाई आदि से दूर रखना चाहिए
- बच्चे को चना व उड़द की दाल बिल्कुल भी नहीं देनी चाहिए
क्या करना चाहिए
- माता पिता का कर्तव्य बनता है कि वह सही से बच्चे के साथ बोले और सही शब्दों का उच्चारण करें
- बच्चे को शांत व खुश रखने की कोशिश करें
- बच्चे को माता-पिता व परिचित लोगों से डर का भय उत्पन्न नहीं होने देना चाहिए
- बच्चे को धीरे-धीरे बोलने देना चाहिए और उसका आत्मविश्वास बढ़ाते रहना चाहिए
- बच्चे को हीन भावना से दूर रखना चाहिए
- बच्चे को रसोली टाइफाइड जैसी बीमारी होने पर तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना था
क्या क्या न करें
- जब बच्चा अटक कर बोल रहा होता है तब उसको ठीक करवाने की कोशिश करें
- बच्चे के साथ खुद तोतली आवाज में बात ना करें जिससे बच्चा आप की नकल उतारने लगे
- हकलाहट होने पर बच्चे का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए
- बच्चे को ज्यादा जोर से डांटना या पीटना नहीं चाहिए
- बच्चे पर ज्यादा मानसिक दबाव नहीं डालना चाहिए
- बच्चे को ज्यादा चिड़चिड़ा नहीं होने देना चाहिए
हकलाने तुतलाने की दवा
लेकिन फिर भी अगर किसी बच्चे को हकलाहट में तुतलाने की समस्या रह जाती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर के द्वारा बताई गई दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए इसके अलावा कुछ दवाइयों के बारे में हमने आपको नीचे बताया जिनको आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं
- 10 ग्राम त्रिकुटा चूर्ण, 20 ग्राम बहेड़ा चूर्ण और 10 ग्राम गौंदती को शहद में मिलाकर सुबह-सुबह बच्चे को चटा दें। इससे लाभ मिलेगा।
- 10 बादाम, 10 काली मिर्च, मिश्री के कुछ दानों को एक साथ पीस कर 10 दिन खाएं.
- दालचीनी के तेल की मालिश जीभ पर करने से मोटी जबान में फायदा होता है
- हरा धनिया और अमलतास के गूदे को पानी में पीस कर उसी पानी से 21 दिन तक लगातार कुल्ले करने से जीभ पतली हो जाती है और हकलाने की समस्या दूर हो जाती है।
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