गणगौर का त्योहार कब कैसे और क्यों मनाया जाता है
भारत में बहुत सारे ऐसे पर्व मनाए जाते हैं जो कि सिर्फ किसी विशेष भगवान के लिए ही मनाए जाते हैं जिनमें भगवानों की पूजा-अर्चना होती है जन्माष्टमी, हनुमान जयंती, महाशिवरात्रि जैसे अवसर शामिल हैं लेकिन कई ऐसे और भी पर्व हैं जिनमें इन सभी भगवानों की पूजा होती है आप सभी जानते हैं कि महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव की पूजा की जाती है और सभी लोग महाशिवरात्रि को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं लेकिन भगवान शिव की पूजा एक और पर्व के मौके पर भी की जाती है और यह पर भी एक बहुत ही धूमधाम से मनाया धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है जी हां हम बात कर रहे हैं गणगौर के बारे में गणगौर एक बहुत ही लोकप्रिय पर्व है
गणगौर पर्व के मौके पर भी भगवान शिव की पूजा धूमधाम से की जाती है और यह पर भी भगवान शिव के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि के पर्व से कम नहीं है आप सभी भगवान शिव की महाशिवरात्रि के बारे में विस्तार से जानते होंगे लेकिन आप में से बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जो कि गणगौर के पर्व के बारे में इतना ज्यादा नहीं जानते तो इस ब्लॉग में हम आपको गणगौर त्यौहार से जुड़ी हुई पूरी जानकारी देने वाले हैं इस ब्लॉग में हम आपको गणगौर का त्योहार कैसे कब और क्यों मनाया जाता है इसके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं
गणगौर किसे कहते है ?
What is called Gangaur? in Hindi – गणगौर का त्योहार भी भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में एक लोकप्रिय त्यौहार माना जाता है यह पर्व भारतीय लोगों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है और इस त्यौहार को भी सभी भारतीय लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं इस त्यौहार को मनाने से पहले ही इस त्यौहार के बारे में तैयारियां शुरू कर दी जाती है और इस त्यौहार को भारत के कई राज्यों में तो बहुत ही ज्यादा मनाया जाता है जिसमें राजस्थान एक मुख्य राज्य है राजस्थान में यह सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है.
इस त्यौहार को लेकर राजस्थान के लोग बहुत समय पहले अलग-अलग प्रकार की तैयारियां करने करने लगते हैं और यह त्यौहार भारत के लगभग छोटे बड़े सभी शहरों में मनाया जाता है गणगौर एक ऐसा त्यौहार है जिसके मौके पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है गणगौर त्यौहार भी एक बहुत ही पवन और हर्षोल्लास का त्यौहार माना जाता है इस त्यौहार को छोटे से लेकर बड़ा हर इंसान धूमधाम से मनाता है यह त्यौहार सभी लोग अलग-अलग प्रकार से मनाते हैं क्योंकि इस त्यौहार को लेकर सभी लोगों में एक अलग ही जोश देखने को मिलता है और बहुत सारे लोग इस त्यौहार को मिलजुल कर एक दूसरे के साथ भी मनाते हैं
गणगौर क्या है
What is gangaur in Hindi – गणगौर का पावन त्यौहार राजस्थान राज्य का मुख्य त्यौहार है राजस्थान में इस त्यौहार की काफी मानता की जाती है और राजस्थान के लोगों के दिलो में यह त्यौहार एक अलग आस्था रखता है गणगौर का त्योहार दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसमें गणगौर दो अलग-अलग गण-गौर शब्द शामिल है गण शब्द का मतलब भगवान शिव शंकर से है और गौर का मतलब माता पार्वती से है गणगौर एक हिंदू त्यौहार है इसलिए इसको लगभग सभी हिंदू धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं गणगौर त्यौहार को लेकर माता पार्वती और भगवान शिव शंकर से जुड़ी हुई कई कहानियां है गणगौर को मानाने का एक बहुत ही अनोखा तरीका है
गणगौर पर्व कैंसे मनाया जाता है
How is Gangaur festival celebrated? in Hindi – गणगौर के त्योहार को मनाने का एक बहुत ही अनोखा तरीका होता है क्योंकि यह एक सामूहिक त्यौहार माना जाता है इस त्यौहार को लगभग 16 दिनों तक सामूहिक रूप से मनाया जाता हैं सभी 16 दिन तक भगवान शिव शंकर भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है और सभी लोग भगवान शिव शंकर भोलेनाथ के भजन कीर्तन करते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं लेकिन गणगौर के त्योहार को ज्यादातर महिलाओं में उत्साह देखी जाती है
गणगौर के त्योहार को महिला और कुंवारी लड़की व्रत रखती है महिला भगवान शिव शंकर से अपने पति के सभी दुखों को खत्म करने और उनके पति की लंबी आयु की कामना करती है लड़कियां एक अच्छा पति मिले इसकी मनोकामना करती है महिलाएं इस दिन अपने घर पर भी पूजा करती है और छोटे से लेकर इंसान नए नए कपड़े पहनते हैं एक दूसरे को बधाइयां देते है.
ऐसा माना जाता है कि जिन लड़कियों की शादी होती है वे लड़कियां शादी के बाद पहला गणगौर त्यौहार अपने माता पिता के घर आकर मनाती है और उसके बाद वह लड़की गणगौर का त्योहार अपने ससुराल में मना सकती गणगौर के त्योहार को मनाते समय माता पार्वती भगवान शिव शंकर भोलेनाथ के गीत गाए जाते हैं और गोर गोमती आदि के भी गीत गाए जाते हैं इसके अलावा बहुत सारे लोकगीत भी गुनगुनाए जाते हैं वह इस त्योहार के मौके पर आसपास की लड़कियां व महिलाएं इकट्ठे होकर नाच गाना भी करती है इसके अलावा भी इस त्योहार को लेकर बहुत सारी अलग-अलग और आस्था भी है.
जो भी महिलाएं गणगौर के त्योहार के मौके पर गणगौर की पूजा करती है वे महिलाएं अपने पूज्य हुए गणगौर को शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन नदी में जाकर पानी पिलाती है यानी यह त्यौहार गणगौर की पूजा करते समय होली के दिन शाम को गणगौर की मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है.
जब भी कोई लड़की या महिला गणगौर के त्यौहार का व्रत रखती हैं तब वह महिला पहले दिन सुबह उठकर स्नान करती है और फिर महिला गीले कपड़े के साथ ही लकड़ी की टोकरी में जवार होती है और व्रत रखने वाली महिला हर रोज सिर्फ रात के समय ही खाना खाती है और जब तक टोकरी में बोई गई जवार का विसर्जन नहीं किया जाता तब तक व्रत रखने वाली महिला हर रोज गणगौर की पूजा करती है और उसके बाद में भोग लगाते हैं गणगौर के समय व्रत रखने पर बोई जाने वाली जवार को भगवान शिव शंकर भोलेनाथ और माता पार्वती का रूप माना जाता है.
गणगौर क्यों मनाया जाता है
Why is Gangaur celebrated? in Hindi – गणगौर एक बहुत ही हर्ष और उल्लास का त्यौहार है यह त्योहार भारत के लगभग सभी राज्यों में बहुत ही जोरों शोरों से मनाया जाता है लेकिन राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यह त्यौहार एक बहुत ही खुशी का त्योहार है इस त्यौहार को बहुत सालों से मनाया जा रहा है और इस त्यौहार को लड़कियां और महिलाएं मनाती है क्योंकि लड़कियां और महिलाएं इस त्योहार के मौके पर व्रत पर रखती है और गणगौर की पूजा करती है जिनसे महिलाएं अलग-अलग मनोकामना मांगती है.
कुंवारी लड़कियां व्रत रखते समय उनको एक अच्छा वर मिले इसके बारे में कामना करती है और माता पार्वती और भगवान शिव शंकर की पूजा अर्चना की जाती है और उनको याद किया जाता है गणगौर हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ त्योहार है यह त्योहार हमारे रहन-सहन बोलचाल और हमारी संस्कृति को भी दर्शाता है हालांकि इस त्योहार को मनाने की कोई खास वजह नहीं है यह भी हमारे दूसरे त्योहारों की तरह ही मनाया जा रहा है और इस त्यौहार को लेकर भी बहुत सारी अलग-अलग कहानियां है और यह त्योहार हमारे इतिहास का एक अटूट हिस्सा है
गणगौर कब मनाया जाता है
When is Gangaur celebrated? in Hindi – जिस तरह से भारत के सभी त्योहार भारतीय कैलेंडर के अनुसार ही मनाए जाते हैं उसी तरह से गणगौर का त्योहार भी भारतीय कैलेंडर के अनुसार ही मनाया जाता है गणगौर के त्योहार को प्राचीन समय से मनाया जा रहा है क्योंकि यह त्योहार माता पार्वती और भगवान शिव शंकर भोलेनाथ के साथ जुड़ा हुआ है जैसा कि हमने आपको पहले बताया गणगौर का त्योहार लगभग 16 दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार होली के दूसरे दिन से शुरू होता है
होली के 16 दिन बाद लगातार चलता है भारतीय कैलेंडर के अनुसार गणगौर का त्योहार चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाना शुरू किया जाता है और यह अगले 16 दिन तक लगातार चलता है क्योंकि इस त्यौहार को भारतीय कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है इसलिए अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल अलग-अलग तारीख को आता है.
लक्ष्य
गणगौर के त्योहार को मनाने का कोई लक्ष्य नहीं है यह हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ एक बहुत ही पौराणिक त्योहार है इसलिए हमारे सभी हिंदू धर्म के लोग इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं इस त्योहार का जिक्र हमारे पुराणों और कई किताबों में भी किया गया है यह त्योहार हमारी संस्कृति के साथ एक अलग लगाव रखता है हालांकि बहुत सारी जगह पर इस त्यौहार की रुचि कम होने लगी है
इसलिए इस त्यौहार को धूमधाम से मनाना हमारे लिए हमारी संस्कृति को बचाने के बराबर है क्योंकि हमारे कई ऐसी पुराणिक त्योहार है जो कि अब विलुप्त होते जा रहे हैं इसलिए हमारा फर्ज बनता है कि हम हमारी संस्कृति और हमारे त्योहारों को बचा कर रखें. हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताए गए गणगौर के त्यौहार के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें.