गुरु तेग बहादुर निबंध गुरु तेग बहादुर सिंह जी का जीवन परिचय
दुनिया की अलग-अलग जगह पर अलग-अलग भगवान में अलग-अलग गुरुओं को माना जाता है इसी तरह से भारत में भी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग देवी देवताओं व अलग-अलग भगवान की पूजा होती है क्योंकि भारत एक बहुत ही प्राचीन देश है और भारत में अलग-अलग धर्मों के अनेक लोग रहते हैं और अनेक धर्मों के लोग एक जगह पर इकट्ठा होने के कारण कि हमारे देश में अलग-अलग भगवान में अलग देवी-देवताओं की पूजा होती है.
भारत में ज्यादातर हिंदू सिख मुस्लिम जैसे धर्मों के लोग रहते हैं जो कि सभी अपने अपने धर्मों के भगवान को पूज़ते हैं सभी धर्मों में ऐसे महान इंसान पैदा हुए हैं जिन्होंने अपने धर्म को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया और अपने लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई हिंदू धर्म में भी कई ऐसे महान इंसान पैदा हुए जिन्होंने हिंदू धर्म को ऊपर उठाने के लिए बहुत कुछ किया और दुनिया के सामने हिंदू धर्म की व्याख्या की.
लेकिन हिंदू धर्म के अलावा सिख धर्म में भी ऐसे बहुत सारे इंसान पैदा हुए जिन्होंने अपने धर्म के लिए अपने परिवार में अपना धन दौलत सब कुछ त्याग दिया और उन्होंने दूसरे लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई वह हमेशा दूसरों की रक्षा करने और उनकी सेवा की इसीलिए उन लोगों को आज तक याद किया जाता है सिख धर्म दुनिया की सबसे पवित्र धर्म में से एक है.
सिख धर्म में आपको हर एक इंसान की रक्षा करना उसको खाना खिलाना हर इंसान का साथ देना आदि के बारे में सिखाया जाता है सिख धर्म में कई अलग-अलग गुरु पैदा हुए तो इस ब्लॉग में हम आपको ऐसे ही एक सिख गुरु के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले हैं इस ब्लॉग में हम आपको गुरु तेग बहादुर सिंह जी के जीवन परिचय और उनके पूरे इतिहास के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं
गुरु तेग बहादुर सिंह
जब भी सबसे पवित्र धर्म की बात आती है तो उनमें सिख धर्म का भी नाम लिया जाता है क्योंकि सिख धर्म एक ऐसा धर्म है जो कि हमेशा लोगों को अच्छी सीख देता है जो कि आप इसके नाम से भी समझ सकते हैं सिख मतलब किसी दूसरे इंसान को अच्छी बातों के बारे में सीख देना अगर आप सिख धर्म के पूरे इतिहास के बारे में पढ़ते हैं तब शायद आपको सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा क्योंकि सिख धर्म एक ऐसा पवित्र धर्म है.
जिसमें एक दूसरे लोगों की रक्षा करना, गरीब लोगों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना, किसी कमजोर आदमी का साथ देना उनको खाना खिलाना आदि ही सिख धर्म की परिभाषा है अगर किसी भी जगह पर किसी भी प्रकार की कोई घटना होती है तब सिख धर्म के लोग सबसे पहले सहायता के लिए पहुंच जाते हैं सिख धर्म में उनके गुरुओं के गुरुद्वारे होते हैं जहां पर हर रोज लंगर चलता है.
इन घरों में सभी गरीब अमीर बच्चे बूढ़े नौजवान खाना खाते हैं.दुनिया में हर ढाबा हर होटल हर संस्था बंद हो जाएगी लेकिन आपको हमेशा गुरुद्वारों में लंगर जरूर चलता मिलेगा हमारे देश में पंजाब के अलावा दूसरे शहरों में भी आपको गुरुद्वारे मिलेंगे जहां पर हर रोज गुरुवाणी सुनाई जाती है वह लंगर खिलाया जाता है सिख धर्म के लोग अपने गुरुओं के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं.
सिख धर्म की सबसे खास बात वह अपने धर्म के लिए शीश तक कटा सकते हैं गुरु तेग बहादुर सिंह भी एक ऐसे ही सिख गुरु थे जिन्होंने अपने धर्म के लिए अपने शिश को कटा दिया गुरु तेग बहादुर सिंह जी सिक्खों के 9वें गुरु माने जाते हैं.वे सिख धर्म के संस्थापक या पहले गुरु गुरु नानक देव जी के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलते थे और उनकी बातों का अनुसरण करते थे वे जीवन में लोगों को भेदभाव से दूर रहने और कम गरीबी अमीरी का अंतर खत्म करने के बारे में बताते थे.
उनके अनुसार दुनिया में हर इंसान को खुलकर जीने की आजादी है इसीलिए वे किसी दूसरे इंसान पर हो रहे अत्याचारों को नहीं देख पाते थे उनके खिलाफ आवाज भी उठाते थे गुरु तेग बहादुर सिंह जी वही इंसान हैं जिन्होंने कश्मीरी पंडितों के ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई क्योंकि उस समय भारत के ऊपर मुगल शासकों का शासन था.
भारत में बहुत सारे मुगल शासक हिंदू लोगों को जबरदस्ती मुसलमान बनाना चाहते थे इसीलिए उन्होंने कश्मीरी पंडितों के ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने मुगल शासकों द्वारा जबरदस्ती हिंदू लोगों को मुसलमान बनाने का घोर विरोध किया
जीवन परिचय
सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर सिंह जी का जन्म 1 अप्रैल सन 1621 को पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में हुआ था गुरु तेज बहादुर सिंह जी के पिता का नाम हरिगोविंद सिंह था वे अपने पिता की पांचवी संतान थे गुरु तेग बहादुर सिंह जी की माता का नाम नामकी था उनके पिता श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी सिख धर्म के 6वें गुरु माने जाते हैं गुरु तेज बहादुर सिंह जी के बचपन का नाम त्यागमल था गुरु तेज बहादुर सिंह बचपन से ही एक वीर सैनिक की तरह रहते थे.
उन्होंने अपने पिता के साथ मुगलों के साथ बहुत सारी लड़ाइयों में भी भाग लिया और जब वे 14 वर्ष की आयु के थे तब उन्होंने पहली बार मुगलों के साथ अपने पिता का साथ दिया था गुरु तेज बहादुर सिंह जी एक बहुत बड़े तलवार बाज़ थे इस वीरता को देखते हुए उनके पिता ने उनके नाम त्यागमल को बदलकर तेग बहादुर रख दिया.गुरु तेग बहादुर शांति प्रिय इंसान थे उनको खून खराबा बिल्कुल भी पसंद नहीं था.
वह युद्ध के समय इस खून खराबे को देखकर बहुत विचलित हुए और उन्होंने अपने मन को शांत करने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की तरफ जाना ठीक समझा और वे सब कुछ त्याग कर एकांत में चले गए जहां पर उन्होंने 20 सालों तक बाबा बकाला नामक स्थान पर अपनी साधना की गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने ही आनंदपुर साहिब का निर्माण करवाया था और भी वहीं पर रहते थे गुरु तेग बहादुर सिंह ने अपने जीवन में कई जगह पर भ्रमण भी किया.
जिनको जिन से उनको बहुत सारी चीजों के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ और वे अपने धर्म का प्रचार करने के लिए हर जगह पर जाते थे.उन्होंने बनारस पटना आसाम जैसी जगहों पर भ्रमण किया जहां पर उन्होंने आध्यात्मिक सामाजिक आर्थिक लोगों की भलाई के लिए बहुत सारे कार्य किए.
गुरु तेग बहादुर सिंह ने लोगों के बीच हमेशा सच्चाई का ज्ञान बांटा और अंधविश्वासों पर भरोसा न करने की सलाह देते थे गुरु से और गुरु तेग बहादुर सिंह की यात्राओं के बीच सन 1666 में पटना में उनका एक पुत्र हुआ जिनका नाम गुरु गोविंद सिंह रखा गया और वे गुरु तेग बहादुर सिंह के बाद सिखों के दसवें गुरु के रूप में जाने गए
गुरु तेग बहादुर का देहांत
गुरु तेग बहादुर सिंह वही इंसान है जिन्होंने लोगों की भलाई और अपने धर्म के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी क्योंकि उस समय पर मुगलों का शासन होता था और मुगल राजा जबरन भारतीय हिंदुओं को मुसलमान बनने के लिए परेशान कर रहे थे और औरंगजेब कश्मीर में हिंदू पंडितों को जबरन डरा धमका कर मुसलमान बनाया जा रहा था इसी से परेशान होकर हिंदू पंडित गुरु तेग बहादुर सिंह के पास आए.
उन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन कराने के बारे में गुरुदेव को पूरी जानकारी दी गुरु तेग बहादुर सिंह ने उनसे कहा कि जाकर औरंगजेब को कह दे कि अगर आप गुरु तेग बहादुर सिंह को इस्लाम धर्म कबूल करवा लेते हैं तब वे सभी इस्लाम धर्म को कबूल कर लेंगे.इस बात से औरंगजेब को गुस्सा आया और वे गुरुदेव के पास चले गए और उन्होंने अलग-अलग बातों के जरिए गुरुदेव को धर्म बदलवाने की कोशिश की.
औरंगजेब ने गुरुदेव के दो शिष्यों को भी मार डाला लेकिन गुरुदेव एक दृढ़ निश्चय के सच्चे सिख थे वे उन्होंने कहा कि हम शीश दे सकते हैं शेश नहीं इसी लिए औरंगजेब ने गुरुदेव का शीश कलम करने की सजा सुनाई और गुरुदेव बहादुर सिंह जी ने अपने धर्म और अपने लोगों की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपनी जान की कुर्बानी दे दी.
उनके बाद उनके बेटे को सिख धर्म के दसवें गुरु के रूप में गद्दी पर बैठाया गया और उन्होंने भी अपने पिता के बताए मार्ग पर चलना शुरू किया और वह भी हमेशा लोगों की रक्षा करते थे.
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताए गए गुरु तेग बहादुर सिंह जी के जीवन परिचय के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारे वेबसाइट को जरूर विजिट करें