BS3 और BS4 Engine क्या है इनमे से कोन सा बढ़िया है
सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से बुधवार 1 अप्रैल 2017 को BS-3 वाली गाड़ियों की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी और कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि अब ऑटोमोबाइल की कंपनियां BS-3 के इस्तेमाल होने वाले इंजन की गाड़ियां नहीं बेच पाएंगी। कोर्ट के इस फैसले पर आटोमोबाइल कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है लगभग 8. 2 lakh गाड़ियां बेकार हो गई है।
इसी वजह से 30 और 31 तारीख को सभी ऑटोमोबाइल की कंपनियां अपने वाहनों पर भारी छूट दे रही थी। जिसकी वजह से वह ज्यादा से ज्यादा वाहन बेच पाए लेकिन ऐसी गाड़ियों खरीदने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आप उनके कागज नहीं बनवा पाएंगे। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की BS-3 और BS-4 इंजन क्या होता है BS-3 और BS-4 इंजन में क्या क्या फर्क होते हैं।
अब जितनी भी गाड़ियां बनाई जाएंगी वह बीएस-4 की बनाई जाएंगी और बेंची जाएंगी। BS-3 और BS-4 यह नाम एक स्टैंडर्ड के हिसाब से रखा गया है जिसको कि भारत स्टेज का नाम दिया गया है। इससे पता लगता है कि गाड़ी कितना प्रदूषण करती है। इसके जरिए भारत सरकार गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को रेगुलेट करती है।
BS का मानक सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से तय होता है और देश में चलने वाली हर गाड़ी का BS मानक होना बहुत जरूरी है। यूरोप में इसी तरह के मानक को यूरो कहा जाता है और अमेरिका में इस मानक को टियर 1 और टियर 2 का नाम दिया गया है। सबसे पहले बीएस इंजन 1991 में बनाया गया था जो कि पेट्रोल के लिए था उसके बाद 1992 में डीजल के लिए भी यह लागू कर दिया गया था।
इसके बाद के यह सभी पेट्रोल की गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था और LEAD रहित तेल का इस्तेमाल करना भी अनिवार्य कर दिया गया था। उस समय भारत में कोई मापदंड ना होने की वजह से यूरोपियन मापदंड के मुताबिक मापदंड रखे गए थे। BS 3 को पूरे देश में 2010 में लागू किया गया था
जो कि रेफरेंस के तौर पर यूरो रखा था और बीएस-4 को 2016 में देश के कुछ हिस्सों में ही अनिवार्य किया गया था। अभी 2020 तक बीएस-4 की गाड़ियां ही चलेंगे। उसके बाद भी BS5 के इंजन की गाड़ियां बनाने का प्लान है और उसके बाद फिर BS5 की गाड़ियां ही अनिवार्य होंगी।
BS-3 और BS-4 स्टैंडर्ड क्या है?
What is BS-3 and BS-4 standard? in Hindi – BS इनका मतलब भारत स्टेज होता है जो कि भारत में निर्धारित मानक का प्रतीक होती है, जो कि सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड तय करता है यह मानक हर देश में अलग-अलग होते है तीन और चार इसके विभिन्न टाइप को दर्शाता है इनको भारत ने यूरोपियन पलूशन नॉर्म्स को फॉलो करते हुए वर्ष 2000 में ‘इंडिया 2000’ स्टैंडर्ड अडॉप्ट किया।
यूरोप में इन पैमानों का नाम यूरो1, यूरो2 आदि होता है और भारत ने 2005 में पैमाने का नाम बदलते हुए इसको BS-II कर दिया और 1 अप्रैल 2010 को इस पैमाने को BS III कर दिया गया और यूरोपियन देशों के हिसाब से देखा जाए तो भारत में प्रदूषण को लेकर अब भी तक बहुत कम रुल है और यूरोपियन देशों में तो यूरो 6 पहले से ही चल रहे है जबकि भारत में अभी Bs 4 लागू होगा।
BS III नॉर्म्स आने के बाद इलेक्ट्रॉनिक vehicle को जगह मिली थी ताकि प्रदूषण कम हो सके लेकिन खास असर नहीं हुआ प्रदूषण उसी तरह बढ़ता गया क्योंकि लोगों को तेज रफ्तार की पेट्रोल डीजल गाड़ियां ही पसंद थी और BS IV एमिशन स्टैंडर्ड को इस तरह तैयार किया गया है की vehicle में डलने वाला इंजन इंधन कम-से-कम हवा में वाष्प हो
जिससे प्रदूषण की मात्रा कम हो और कम से कम वातावरण प्रदूषण और आगे बनने वाले है vehicle इसी मानक के आधार पर बनाए जाने की योजना है लेकिन भारत की योजना है कि भारत BS 5को रोक कर 2020 में सीधा BS 4 लाने की योजना है और इसके बारे में आॅटोमोबाइल और तेल कंपनियों को इसके बारे में पहले ही बता दिया गया है और इस हिसाब से तेयारी करने के लिए कहा गया है
BS के साथ लगी संख्या जितनी बड़ी होती है उतने ही मापदंड कड़े होते जाएंगे। ,मतलब जितने ज्यादा इस की संख्या होगी जिससे कंपनी को ज्यादा रिसर्च करना पड़ेगा और उसी प्रकार की गाड़ियां बनानी पड़ेगी ताकि वह मापदंडो को पूरा कर सके। जैसा की हमने आपको पहले भी बताया है
यह एक ऐसा मापदंड है जिससे कि प्रदूषण के बारे में पता लगता है कि गाड़ी हमारी कितना प्रदूषण कर रही है
क्यों इतने सारे वाहन बेंचे गए वह भी डिस्काउंट रेट पर
Why were so many vehicles sold and that too at discount rates? in Hindi -इसके कई कारण हैं लेकिन आपको हर एक को अलग अलग करके समझना होगा।
दो पहिया वाहन का आंकड़ा दूसरी बिकने वाले BS3- की गाड़ियों से सबसे ज्यादा है। कई कंपनियां तो इस पर 50 पर्सेंट से भी ज्यादा छूट दे रही थी। यह इसलिए हुआ क्योंकि जो नए मॉडल के इंजन आए हैं उनको पुराने मॉडल के इंजन से रिप्लेस करना बहुत ही मुश्किल है। इसके लिए ना खाली इंजन का बदलाव होगा बल्कि इसके साथ-साथ पूरे स्ट्रक्चर को भी चेंज किया जाएगा।
जिसकी वजह से यह पुराने मॉडल में फिट नहीं हो पाएगा और कंपनी को इसके लिए नया मॉडल ही तैयार करना होगा। तो इसी वजह से दुपहिया वाहन मैं BS-4 के इंजन को फिट करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। पेट्रोल से चलने वाली बहुत सी गाड़ियां पहले ही BS-3 से बदलकर बीएस-4 कर दी गई थी। इसके अंदर इंजन में जो इंधन खपत नहीं हो पाता है
वह एक वह बाहर नहीं निकाला जाता है बल्कि एक कंटेनर में इकट्ठा कर दिया जाता है जोकि इंजन से जुड़ा होता है। डीजल से चलने वाली कई गाड़ियां भी पहले ही BS-3 से बदलकर BS 4 में कर दी गई थी। जैसे कि महिंद्रा थार बीएस-4 तकनीकी गाड़ी है जो बाजार में उपलब्ध है। लेकिन भी BS 3 से BS 4 में गाड़ियों में बदलना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि उनका सिस्टम बहुत अलग होता है।
BS4 क्या-क्या फायदे हैं
What are the benefits of BS4? in Hindi – बीएस-4 में प्रदूषण करने की सीमा बहुत कम है। लेकिन BS-3 के इंजन में ऐसी कोई लिमिट नहीं थी। BS 3 के इंजन बहुत ज्यादा प्रदूषण करते हैं और जहरीली गैस छोड़ते हैं जिस को मद्देनजर रखते हुए बीएस-4 का इंजन तैयार किया गया है। जो कि BS 3 इंजिन से 50 परसेंट कम प्रदूषण करता है।
बीएस 4 इंजन में बिना जले हुए इंधन को बाहर नहीं निकाला जाता इसमें इसके साथ ही है कंटेनर के लिए सुविधा दी हुई होती है ताकि वह पर्यावरण में ना मिल सके और पर्यावरण को कम से कम हानी हो। अभी कहां जा रहा है कि 1 अप्रैल 2017 से BS 4 इंजन से तैयार की हुई गाड़ियां पूरे भारत में इस्तेमाल करना जरूरी हो जाएगा
जिससे यदि आप शोरूम में नई गाड़ी खरीदने जाएं तो आपको पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा क्योंकि BS 4 इंजन थोड़ी सी महंगी लागत से तैयार किए जाते हैं और ऑटोमोबाइल कंपनियों ने इनके रेट थोड़े से ज्यादा रखे है यदि आप BS 4 इंजन की गाड़ियां इस्तेमाल करेंगे तो आप का खर्च थोड़ा सा भले ही ज्यादा हो लेकिन इसके फायदे बहुत ज्यादा होंगे
इससे वातावरण में प्रदूषण बहुत ही कम होगा और आप इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की गाड़ियां इस्तेमाल करेंगे जिससे आप बिना रुकावट के अच्छे से इस्तेमाल कर पाएंगे | यह कदम सरकार ने इसीलिए उठाया क्यों की BS 4 इंजन की गाड़ियां वातावरण में बहुत ज्यादा प्रदूषण फैला रही थी और दिनभर प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही थी
इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने BS 3 इंजन की गाड़ियों को बैन करके BS 4 इंजन की गाड़ियां इस्तेमाल करने का आदेश दिया BS 4 इंजन की गाड़ियां BS 3 जने गाड़ियों से लगभग 50% कम प्रदूषण करेगी |
BS-3 वाली गाड़ियों की बिक्री पर रोक लगाने का ऐलान सुप्रीम कोर्टने बहुत पहले ही कर दिया था लेकिन ऑटोमोबाइल कंपनियों के पास बहुत ज्यादा मात्रा में स्टॉक था और वह इस टॉप को टारगेट समय के अंदर नहीं निकाल सके जिससे उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा
और उनको इस आदेश से बहुत बड़ा झटका लगा लेकिन कुछ कंपनियों ने आदेश का पालन किया और बहुत कम मात्रा में BS 3 इंजन की गाड़ियां बनाई और भी BS 4 पर रिसर्च किया
जैसे बहुत सी ऑटोमोबाइल कंपनियां जैसे Suzuki Hyundai Bajaj ने पहले से ही गाड़ियों के अंदर BS 4 एमिशन नॉर्म्स के हिसाब से रिसर्च करके इन इंजन की गाड़ियां बनानी शुरू कर दी है और बहुत जल्दी ही वह BS 4 इंजन की गाड़ियों को बाजार के अंदर उतार देंगे |
Jo 2015 ki manufacturing ki gaadi hai kya pandra Saal Baad car registration nahi hoga