जानिए धारा 377 क्या है और इस से सबंधित पूरी जानकारी
वैसे तो आप बहुत सी धारा के बारे में जानते होंगे क्योकि उनके बारे में बहुत बारी खबरों में पढ़ते रहते है लेकिन बहुत सी धरा ऐसे भी है जिनके बारे बहुत कम जाने को मिलता है और सभी धारा किसी ने किसी अपराध के लिए या किसी कानून के लिए बनी हुई है लेकिन बहुत बारी कोर्ट द्वारा कुछ धारा के रूल बदल दिए जाता है
उनसे सबंधित मिलने वाली सजा या उनसे सबंधित अपराध को में कुछ बदलाव किया जाता है जैसे अभी थोड़े टाइम पहले धारा 377 से सबंधित कानून में कुछ बदलाव किये है इन से सबंधित बहुत से प्रश्न बहुत कॉम्पीटिशन एग्जाम में पूछे जाते है
लेकिन यदि ऐसे भी इनके बारे में ज्ञान होना चाहिए आज हम इस पोस्ट में धारा 377 से सबंधित हुए बदलाव के बारे में बतायेंगे और इस से सबंधित पूरी जानकारी देंगे |
धारा 377 क्या है
what is section 377 in Hindi – धारा 377 भारतीय दंड संहिता की एक अपराधिक धारा है भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अनुसार “ किसी भी व्यक्ति , महिला या जानवर के साथ स्वैच्छिक रूप से संभोग करने वाले व्यक्ति को अपराधी माना जाएगी और उसे उम्र कैद की सजा या दस साल तक की जेल हो सकती है
और जुर्माना भी लगाया जा सकता है यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और यह गैर जमानती है और आईपीसी की ये धारा लगभग 150 साल पुरानी है और महारानी विक्टोरिया के दौर की नैतिकता का अवशेष मात्र है.
धारा 377 की शुरुआत कब और कंहा से हुई
When and where did Section 377 begin? in Hindi – सबसे पहले ब्रिटेन में के रहने वाले लॉर्ड मैकाले एक राजनीतिज्ञ और इतिहासकार थे. उन्हें 1830 में ब्रिटिश पार्लियामेन्ट का सदस्य चुना गया. वह 1834 में गवर्नर-जनरल के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के पहले कानूनी सदस्य नियुक्त होकर भारत आए. भारत में वह सुप्रीम काउंसिल में लॉ मेंबर और लॉ कमिशन के हेड बने.
इस दौरान उन्होंने भारतीय कानून का ड्राफ्ट तैयार किया. इसी ड्राफ्ट में धारा-377 में समलैंगिक संबंधों को अपराध की कैटेगरी में डाला गया और इस एक्ट की शुरुआत लॉर्ड मेकाले ने 1861 में इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) ड्राफ्ट करते समय की. इसी ड्राफ्ट में धारा-377 के अनुसार समलैंगिक रिश्तों को अपराध की श्रेणी में रखा गया.
जैसे आपसी सहमति के बावजूद दो पुरुषों या दो महिलाओं के बीच सेक्स, पुरुष या महिला का आपसी सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध पुरुष या महिला का जानवरों के साथ सेक्स या फिर किसी भी प्रकार की अप्राकृतिक हरकतों को इस श्रेणी में रखा गया है.
इसमें गैर जमानती 10 की जेल या उम्र कैद का प्रावधान है. और फिर उसके बाद धारा 377 का पहली बार मुद्दा गैर सरकारी संगठन ‘नाज फाउंडेशन’ ने उठाया था. इस संगठन ने 2001 में दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और अदालत ने समान लिंग के दो वयस्कों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाले प्रावधान को ‘‘गैरकानूनी’’ बताया था.
इसके बाद दुसरे देशो को देखते हुए इसके उपर बहस चलती रही और आखिरकार 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 377 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज (10 जुलाई) से सुनवाई होगी तीन दिनों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पर्याप्त संकेत दिए हैं कि वह आईपीसी की इस धारा को असंवैधानिक करार देकर समलैंगिकों को आज़ादी के साथ जीने का अधिकार देगी.
इन देशों में समलैंगिकता अपराध नहीं
Homosexuality is not a crime in these countries in Hindi – भारत ऑस्ट्रेलिया, माल्टा, जर्मनी, फिनलैंड, कोलंबिया, आयरलैंड, अमेरिका, ग्रीनलैंड, स्कॉटलैंड, लक्जमबर्ग, इंग्लैंड और वेल्स, ब्राजील, फ्रांस, न्यूजीलैंड,
उरुग्वे, डेनमार्क, अर्जेंटीना, पुर्तगाल, आइसलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, कनाडा, बेल्जियम, नीदरलैंड जैसे 26 देशों ने समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है
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