ट्रैफिक लाइट का आविष्कार किसने किया

ट्रैफिक लाइट का आविष्कार किसने किया – Who invented the traffic light In Hindi

हम अपने घर से जब भी बाहर किसी काम ऑफिस या स्कूल जाने के लिए निकलते हैं तो हमारे सामने एक सबसे ज्यादा बड़ी दिक्कत होती है कि हम जब जाते हैं तो हमे रोड के ऊपर बहुत ज्यादा ट्रैफिक मिलता है वह बहुत गाड़ियां हमें अपने शहर के रोड पर मिलती है और जिससे कि हमें ऑफिस जाने स्कूल जाने में बहुत बार देरी हो जाती है

क्योंकि कई बार जब हम रोड को क्रॉस करने की कोशिश करते हैं तो चौराहे के ऊपर किसी पुलिसकर्मी या लाइट के ना होने से हम रोड जल्दी से करो से नहीं पाते हैं कर पाते हैं क्योंकि गाड़ियां बहुत ज्यादा है और ट्रैफिक सिग्नल की लाइट नहीं होगी तो हमे रोड को क्रॉस करने के लिए कोई भी साइड नहीं देगा ट्रैफिक लाइट का होना बहुत जरूरी है और हम इसे लगभग सभी जगह पर देखते भी हैं

तो कभी आपने यह सोचा है कि इस ट्रैफिक लाइट का आविष्कार किसने किया था शायद आपने यह बात नहीं सोची होगी लेकिन आज हम आपको इस पोस्ट में इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी बताएंगे हम आपको इस ट्रैफिक लाइट के बारे में बताएंगे कि ट्रैफिक लाइट का सबसे पहले आविष्कार किसने किया और यह सबसे पहले कहां पर लगाई गई थी.

और यह जानकारी आपके लिए बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण है क्योंकि जब भी आप अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जाते हैं तो आप से सबसे ज्यादा ट्रैफिक लाइट और सिग्नल के बारे में पूछा जाता है

तो इसलिए आप को इस जानकारी के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है तो हम आपको नीचे इस पोस्ट में ट्रैफिक लाइट के आविष्कार के बारे में पूरी जानकारी देंगे इसे आप अच्छी तरह से और ध्यान से पढ़ें तो देखिए

ट्रैफिक लाइट का आविष्कार किसने किया

Who invented the traffic light In Hindi ? आज के समय में लगभग हमें हर चौराहे के ऊपर ट्रैफिक सिग्नल लगा हुआ मिल जाएगा जो की लाल पीली और हरी लाइट के रुप में लगा होता है और उनको लगने के बाद भी हमारे शहर में इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि हम रोड को क्रॉस भी नहीं कर पाते हैं तो जब यह लाइट नहीं थी

तो आप अंदाजा लगा सकते हैं की रोड क्रॉस करने में बहुत दिक्कत होती होगी क्योंकि पुराने समय में सिर्फ एक पुलिसकर्मी ही चौराहे के ऊपर मौजूद होता था और वह अपने हाथों के जरिए ही सारे ट्रैफिक को कंट्रोल करता था

लेकिन उस समय में भी लंदन जैसे शहर में ट्रैफिक को कंट्रोल कर पाना बहुत मुश्किल था इसलिए ट्रैफिक लाइट सिग्नल का आविष्कार किया गया ताकि ट्रैफिक को नियंत्रित किया जा सके ट्रैफिक लाइट सिग्नल का आविष्कार सबसे पहले जेपी नाइट ने किया था जेपी नाइट एक रेलवे सिग्नल के इंजीनियर थे

और उन्होंने रेलवे सिग्नल की सहायता से ट्रैफिक सिग्नल लाइट का आविष्कार किया था और सबसे पहले उन्होंने 1868 में संसद के सदनों के बाहर इस ट्रैफिक लाइट सिग्नल को लगाया था शुरु में तो यह देखने में एक रेलवे सिग्नल की तरह ही लग रहा था

सबसे पहली बार ट्रैफिक लाइट सिस्टम को लंदन में 9 दिसंबर 1868 को शुरू किया गया था उस समय में दिन में रोड के ऊपर लगाए   पिलर की दो बाजुओं का इस्तेमाल करके दिन में ट्रैफिक को कंट्रोल किया जाता था और रात में गैस के बनाए गयी ट्रैफिक लाइट को इस्तेमाल करके ट्रैफिक को नियंत्रित किया जाता था

और उसमें समय में सिर्फ लाल और हरी दो रंग की ही लाइट लगी हुई थी और उस लाइट को एक पुलिसकर्मी नियंत्रित करता था 2 जनवरी 1869 को उस गैस से बनी हुई लाइट के फूट जाने के कारण पुलिसकर्मी को बहुत ज्यादा चोट आई थी इस कारण इस गैस ट्रैफिक लाइट सिस्टम को बंद कर दिया गया था

और समय साथ साथ ट्रैफिक भी बहुत बढ़ने लगा था और रोड के ऊपर बहुत ज्यादा भीड़ होने लगी. और इस ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए 1912 में पहली बार लेस्टर फ़ोर्नवर्थ वायर नाम के एक पुलिस ऑफिसर ने बिजली वाली लाइट का डेवलपमेंट करना शुरू किया जिसका डिजाइन James hoge ने किया था

इसलिए पहला इलेक्ट्रिक ट्रैफिक सिग्नल” का श्रेय आमतौर पर James hoge को जाता है क्लीवलैंड में उनके डिजाइन के आधार पर एक प्रणाली 5 अगस्त, 1914 को स्थापित की गई थी। James hoge ने 1918 में सिस्टम के लिए एक पेटेंट प्राप्त किया। (उन्होंने 1913 में अपना आवेदन दायर किया था।)

James hoge के ट्रैफिक सिग्नल ने एक चौराहे के चारों कोनों में से एक पर एक ही पोस्ट पर “स्टॉप” सिस्टम वायर्ड था कि पुलिस और आग बुझाने का डिपो आपातकाल के मामले में रोशनी प्राप्त कर सके.

फिर 1920 में, डेट्रोइट पुलिस अधिकारी विलियम पॉट्स ने कई स्वचालित ट्रैफिक लाइट सिस्टम विकसित किए, जिसमें पहले तीन-रंग सिग्नल भी शामिल थे, जिसमें पीला “सावधानी” प्रकाश शामिल था

1923 में गेटेट मॉर्गन ने एक विद्युत से चलने ट्रैफिक सिग्नल का पेटेंट कराया। क्लेवलैंड में एक कार के मालिक होने के लिए मॉर्गन पहले अफ्रीकी-अमेरिकी थे उन्होंने गैस मास्क का आविष्कार भी किया। मॉर्गन के डिजाइन में तीन लाइट के साथ एक टी-आकार का डिज़ाइन था.

इस सिस्टम ने पहले भी सभी दिशाओं में यातायात बंद कर दिया ताकि चौराहे को रोकने के लिए ड्राइवरों को समय दिया जा सके। मॉर्गन के डिजाइन का एक और लाभ यह था कि इसे सस्ते में तैयार किया जा सकता था, इस प्रकार इन सिग्नल की संख्या बढ़ाई जा सकती है  मॉर्गन ने अपने ट्रैफिक सिग्नल के अधिकार को जनरल इलेक्ट्रिक को 40,000 डॉलर में बेच दिया. 

US डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन के अनुसार 1930 के दशक में पैदल चलने वाले सिग्नल को यातायात सिग्नल में शामिल करना शुरू किया गया था। एक A “Walk/Don’t Walk”  सिग्नल का पहला परीक्षण 1934 में न्यूयॉर्क में किया गया था। इसे “स्टॉप” का सिग्नल देने के लिए हथेली का इस्तेमाल भी किया गया था

अगर बात करें बाद में ट्रैफिक लाइट सिग्नल के बारे में तो भारत में पहली बार 1953 में चेन्नई शहर में पहली बार ट्रैफिक लाइट सिग्नल का इस्तेमाल किया गया था

और उसके लगभग 10 साल बाद बेंगलुरु शहर में पहली बार ट्रैफिक लाइट सिग्नल का इस्तेमाल किया गया1950 के दशक में अमेरिका में कंप्यूटर के अविष्कार के साथ ट्रैफिक लाइट सिग्नल का नियंत्रण में एक बड़ा मोड़ आया। एक दबाव प्लेट को चौराहों पर रखा गया था, इसलिए जब एक बार प्लेट पर एक कार आती थी

तो कंप्यूटर जानती थी कि एक कार लाल बत्ती पर प्रतीक्षा कर रही थी. जैसा कि कंप्यूटर विकसित हो गए ट्रैफिक लाइट कंट्रोल भी सुधार हुआ और आसान हो गया। 1967 में टोरंटो शहर में सबसे अधिक उन्नत कंप्यूटर का इस्तेमाल किया गया जो वाहन का पता लगाने में बेहतर थे. कंप्यूटरों ने टेलिफोन लाइनों के माध्यम से शहरों में 159 संकेतों पर नियंत्रण बनाए रखा.

1990 के दशक में पहली बार ट्रैफिक सिग्नल के ऊपर उल्टी टाइमर घड़ी का इस्तेमाल किया गया यह घड़ी का बहुत बड़ा फायदा भी हुआ और सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों का हुआ जो कि पैदल चलकर रोड को क्रॉस करते थे क्योंकि जब यह घड़ी नहीं थी तो पैदल चलकर रोड क्रॉस करने वालों को बहुत ज्यादा दिक्कत होती थी

क्योंकि जब बत्ती का संकेत होता था तो कुछ गाड़ियां बीच में रह जाती थी इसलिए जब इस घड़ी को ट्रैफिक सिग्नल के ऊपर लगाया गया तो टहल कर चलने वाले या पैदल चलकर रोड क्रॉस करने वालों को फायदा हुआ और इस घड़ी में उल्टा टाइम सेट किया हुआ होता है जिससे कि जब तक वह घड़ी जीरो तक आए तब तक पैदल चलने वाले अपना रोड क्रॉस कर सकते हैं.

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अब आपको पता चल गया होगा की ट्रैफिक सिग्नल लाइट का आविष्कार कब और किसने किया था और सबसे पहली बार ट्रैफिक सिग्नल लाइट कहां पर लगाई गई थी तो आज हमने आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी बताई है इस जानकारी क्या आपको बहुत फायदा मिलेगा.

इस पोस्ट में हमने आपको ट्रैफिक लाइट सिग्नल के आविष्कार और इतिहास ट्रैफिक लाइट का आविष्कार किसने किया – Who invented the traffic light In Hindi traffic light ka aavishkaar kisane kiya traffic light ki khoj kisne ki traffic light sabse pahle kanha lagayi gayi  के बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी है

तो आप को यह जानकारी अच्छी लगी होगी और यदि आपको यह जानकारी पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं

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