दिमागी दौरे मिर्गी के लक्षण और उपाय आयुर्वेदिक दवा
जैसा कि आप सभी जानते हैं आज के समय में इस दुनिया में बहुत सारी अलग-अलग प्रकार की बीमारियां फैली हुई है और इसमें से कुछ बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारियां भी है और कुछ ऐसी बीमारी है जिनके ऊपर हम इतना ज्यादा ध्यान तो नहीं देते लेकिन अक्सर यह बीमारियां भी बहुत ज्यादा खतरनाक होती है और इन बीमारियों से भी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है और ये सभी बीमारियां भी हमारे आस पास के ही लोगों में होती है .
ऐसी ही एक बीमारी का नाम है मिर्गी जी हां आपने मिर्गी नाम की बीमारी का नाम होगा और आपके आसपास भी कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसको मिर्गी रोग है लेकिन क्या कभी आपने ऐसा सोचा है कि मिर्गी रोग आखिर किस वजह से होता है और यह रोग किन-किन लोगों को हो सकता है और मिर्गी रोग का उपचार कैसे किया जाता है इस रोग के हो जाने के बाद किन किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए और किन-किन चीजों को खाने पीने चाहिए आज हम इसी रोग की पूरी जानकारी आपको यहां पर देने वाले हैं आज के इस ब्लॉग में आपको इस रोग के होने के कारण इसके उपचार और इसके बचाव आदि के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी.
मिर्गी के लक्षण कैसे होते हैं
लक्षण – सबसे पहले बात करते हैं इस रोग के लक्षण के बारे में क्योंकि किसी भी रोग को पहचानने के लिए उसके लक्षणों के बारे में जान की जानकारी होना बहुत ही जरूरी है
वैसे तो मिर्गी रोग के हो जाने पर आपको मरीज के अंदर बहुत सारे लक्षण दिखाई देते हैं जैसे कि सबसे पहला और सबसे बड़ा कारण है कि जिस इंसान को यह रोग हो जाएगा उसके शरीर के अंदर बहुत ज्यादा कमजोरी हो जाएगी और वह इंसान चलते-चलते या बैठे-बैठे ही गिर जाएगा या फिर उसको यह अंदाजा नहीं होगा कि वह किस जगह पर है और क्या कर रहा है और उसका शरीर बहुत ज्यादा जकड़ जाएगा और उसके मुंह में लार या झाग आने शुरू हो जाएंगे| उसके होंठ और उसकी जाड़ बिल्कुल चिपक जाएंगे और इसके साथ ही उस व्यक्ति की आंखें उल्टी हुई दिखाई देगी
इसके अलावा उस व्यक्ति के चेहरे और हाथ पांव में कंपन शुरू हो जाएगी और वह व्यक्ति बिल्कुल चुपचाप बैठ जाएगा और फिर वह जोर-जोर से चिल्लाना भी शुरू कर सकता है और बेहोश भी हो सकता है और इसके अलावा उसके शरीर पर आपको पसीना भी दिखाई देने लगेगा और उसके हाथ पैर और गर्दन मुड़ जाएगी उसके हृदय की गति एकदम से बढ़ जाएगी तो यह कुछ ऐसे लक्षण है जो कि आपको मिर्गी रोग के मरीज के अंदर देखने को मिलेंगे
लेकिन यहां पर आपको इस बात का जरूर ध्यान रखना होगा मिर्गी रोग का अक्सर मरीज को दौरा पड़ता है लेकिन जब किसी इंसान को मिर्गी का दौरा पड़ता है तो उससे पहले भी कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो कि आपको उस इंसान के अंदर देखने को मिल जाएंगे. जैसे उसका शरीर ऐंठ जाए, या फिर दोरे के समय रोगी का अपने आप पेशाब भी निकल सकता है, दौरा अचानक और बहुत जल्द पूरा असर दिखा देने के कारण मरीज संभल भी नहीं पाता |
यह थे कुछ मिर्गी रोग के लक्षण आगे हम आपको बताएंगे कि यह रोग किस वजह से होता है
मिर्गी होने के कारण
कारण – किसी भी बीमारी के होने के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है तो मिर्गी रोग होने की भी इसी तरह से कई कारण हो सकते हैं जैसे कि बहुत ज्यादा मात्रा में शारीरिक व मानसिक कार्य करने | ज्यादा हस्तमैथुन करने या किसी वजह से सिर पर चोट लगने| बहुत ज्यादा या मस्तिष्क बुखार होने शरीर में ग्लूकोज की कमी होने के कारण या मर्दों में बहुत ज्यादा शराब पीने के कारण यह रोग हो सकता है इसके अलावा अगर स्त्रियों की बात की जाए तो स्त्रियों में मासिक धर्म से संबंधित कोई दिक्कत होने के कारण या फिर दिमाग के ऊतकों को सही मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने के कारण यह रोग हो सकता है
यह कुछ ऐसे कारण जिनकी वश जिनकी वजह से मिर्गी रोग होता है लेकिन अगर किसी इंसान को मिर्गी रोग हो जाए तो उसे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए
क्या-क्या नहीं खाना चाहिए
- बहुत ज्यादा मात्रा में शीतल और अधिक उष्ण पदार्थों को नहीं खाना चाहिए
- शरीर की आवश्यकता से अधिक मात्रा में भारी, गरिष्ठ, तले, मिर्च-मसालेदार चटपटा भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए
- वात कारक भोज्य पदार्थ जैसे- मूली, मटर , मसूर की दाल, उड़द, राजमा, गोभी चावल, बैगन, मछली, का सेवन न करें
- ज्यादा उत्तेजना पैदा करने वाले पदार्थ जैसे शराब, तंबाकू, गुटखा, पान, ज्यादा कड़क चाय, मसालेदार सब्जी, कॉफी आदि का ज्यादा मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए
ऐसे खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ हैं जिनका आपको अपने शरीर के हिसाब से ही सेवन करना चाहिए
क्या-क्या खाना चाहिए
- पहले आपको अपने भोजन का समय सीमित करना होगा आपको हमेशा सोने से 2 घंटे पहले खाना खाना चाहिए
- आपको खाने में बनी हुई और हर मूंग की दाल और गेहूं के आटे से बनी हुई चपाती खानी चाहिए
- फलों की बात की जाए तोआपको आम, अनार, संतरा, सेब, आडू ,अनानास जैसे फलों का सेवन करना चाहिए
- आपको सबसे ज्यादा दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए
- आप को अंकुरित मूंग मोठ वह चने आदि का सेवन करना चाहिए
- अपने भोजन के अंदर गाजर का मुरब्बा और पुदीने की चटनी आदि को शामिल करना चाहिए
- आप लहसुन को तेल में सेक कर सुबह शाम खाना चाहिए
अगर किसी इंसान को मिर्गी रोग हो जाता है तो उस तो उसके छुटकारे के लिए क्या-क्या करना चाहिए और क्या क्या नहीं करना चाहिए
क्या-क्या करना चाहिए
- अगर किसी इंसान को यह रोग हो जाता है तो उसको सुबह सुबह खुली हवा में लंबी सांसे लेना चाहिए या फिर उसको सुबह-सुबह खुली हवा में वॉक करनी चाहिए
- अगर किसी को मिर्गी का दौरा पड़ जाता है तो उसके मुंह पर ठंडे पानी के चींटी मारने चाहिए
- दौरा पड़ने के बाद रोगी के कपड़ों के बटन को खोल देना चाहिए और उसे खुले में लेटा देना चाहिए और उसके सर के नीचे तकिया लगा कर उसके सर को ऊंचा करना चाहिए
- दौरा पड़ने पर रोगी के मुंह में चम्मच आदि को फंसा देना चाहिए जिससे रोगी की जीभ न कट सके
- रोगी को दौरा पड़ने पर हवा डालनी चाहिए और उसके हाथ पैर आदि को जोर-जोर से रगड़ना चाहिए जिससे उसका शरीर गर्म सके
- अगर रोगी भागने की कोशिश कर रहा है तो उसे एक जगह पर लेटा दें
क्या क्या नहीं करना चाहिए
- अगर रोगी को दौरा आ जाता है तो उसकी किसी भी गतिविधि को रोकना नहीं चाहिए
- अगर किसी को मिर्गी का दौरा आता है तो उस इंसान को किसी भी तरह का कोई साधन जैसे बाइक साइकिल गाड़ी आदि नहीं देनी चाहिए
- अगर किसी को दौरा आ जाता है तो उस इंसान को पेट के बल बिल्कुल भी नहीं लेट आना चाहिए
- रोगी को ज्यादा भारी मानसिक और शारीरिक कार्य को नहीं करने देना चाहिए
- रोगी के मल मूत्र आदि को नहीं रोकना चाहिए
- दौरों के दिनों में संभोग न करें
- रोगी को आग। पानी, गहराईयां, लड़ाई आदि के माहौल से दूर रखना चाहिए
मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा
मिर्गी जैसे रोगों के लिए आयुर्वेद में काफी औषधियां दी गई है लेकिन सभी औषधियों का उपयोग आपको किसी वैद्य की देखरेख में करना चाहिए यहां पर हम आपको कुछ ऐसे ही औषधियों के नाम बताने वाले हैं लेकिन किसी भी औषधि का उपयोग करने से पहले आपको किसी अच्छे वैद्य की सलाह लेना बहुत ही जरूरी है.
• नाड्रील टेबलेट (निर्माता-हिमालय)। यह मगी की उत्तेजना को कम करके दौरे को शान्त करती है। रक्त दबाव को भी कम करती है। मस्तिष्क पर शामक प्रभाव डालती है। 1-2 गोली पानी से दिन में 2-3 बार दें।
• सर्पिना टेबलेट (निर्माता-पूर्ववत्) । 1 से 1 गोली दिन में 2-3 बार दें।
• अशार टेबलेट (निर्माता-चरक)। 1-2 गोली दिन में 3 बार दें।
• हिपनोटेन्शन टेबलेट (निर्माता-झण्डू)। 1-2 गोली दिन में 3 बार पानी से दें।
• सिलेडिन टेबलेट (निर्माता-अलारसिन)। 1-2 गोली दिन में 2-3 बार दें।
• सर्पगन्धा मिश्रण टेबलेट (निर्माता-पूर्ववत्) । 1-2 गोली दिन में 3 बार दें।
• हिस्टीरियान्तक कैपसूल (गर्ग)। 1-1 कैपसूल सुबह-शाम 30 मिली० अश्वगन्धारिष्ट के साथ सेवन करायें।
•हिस्टोरियाहर कैपसूल (ज्वाला) 2-2 कैपसूल दिन में 2 बार दें।
•रक्तचापहारी कैपसूल (निर्माता-पूर्ववत्) । 1-1 कैपसूल दिन में 3 बार दें।
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