बवासीर के लक्षण कारण व उपचार Piles Treatment in Hindi
जैसा की आप सभी को पता होगा कि दुनिया भर में ऐसी बहुत सारी खतरनाक बीमारियां हैं जो कि अगर एक बार किसी को लग जाती है तो वह जल्दी ही पीछा नहीं छोड़ती और वह बहुत ज्यादा दर्द देती है लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती है जो कि किसी ऐसी जगह या किसी ऐसे अंग पर होती है जो कि दूसरी बीमारियों के मुकाबले में ज्यादा पीड़ा देती है इसी तरह से एक बीमारी का नाम बवासीर है जो कि एक खतरनाक और असहनीय दर्द देने वाली बीमारी है.
जब यह बीमारी किसी को लग जाती है तब रोगी को असहनीय दर्द देती है तो आज किस ब्लॉग में हम बवासीर के बारे में ही बात करने वाले इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि बवासीर किन कारणों से उत्पन्न होती है इसे कैसे बचें और इसके उपचार आदि के बारे में
बवासीर रोग क्या है
अगर इस खतरनाक बीमारी के बारे में बात की जाए तो यह एक ऐसी बीमारी है जो कि रोगी को बहुत पीड़ा देती है क्योंकि जब किसी को यह बीमारी उत्पन्न होती है तब यह रोगी के मलद्वार के मुख पर उत्पन्न होती है तब रोगी के मलद्वार की शिराएं फूलने लगती है और वह चने के दाने के समान फुल जाती है और उसमें से मास के अंकुर निकलने लगते हैं आम भाषा में तो इस बीमारी को बवासीर के नाम से ही जाना जाता है लेकिन आयुर्वेद में इस बीमारी को अर्श रोग का नाम दिया गया है और बवासीर दो प्रकार की होती है बादी बवासीर और खूनी बवासीर, बादी बवासीर में रोगी को गुदा में पीड़ा, सूजन और खुजली होती है जबकि खूनी बवासीर में मलद्वार की शिराओं से मल के टकराने से रक्त स्त्राव होता है जिसमें बहुत पीड़ा उत्पन्न होती हैं
बवासीर के कारण
अगर इस खतरनाक बीमारी के कारणों के बारे में बात की जाए तो इस बीमारी के उत्पन्न होने के बहुत सारे कारण होते हैं जैसे ज्यादा लंबे समय तक कब्ज की शिकायत रहना, अधिक नशीली चीजों का सेवन करना, ज्यादा मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन करना, अनियमित भोजन खाना, ज्यादा मांस मछली अंडा खाना, लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना या पूरा दिन आराम करते रहना, ज्यादा तले भुने हुए भोजन का सेवन करना, यकृत में खराबी होना, ज्यादा साइकिल, घुड़सवारी व बाइक आदि चलाना, ज्यादा गुदा मैथुन करना, ज्यादा गर्म उत्तेजक पदार्थों का सेवन करना यह कुछ ऐसे प्रमुख कारण होते हैं जिनसे बवासीर की समस्या उत्पन्न होती है
बवासीर के लक्षण
जिस तरह की बवासीर के उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं उसी तरह से इस समस्या में आपको कई प्रकार के लक्षण भी देखने को मिलते हैं जैसे इस रोग में बार बार मल जाने की समस्या उत्पन्न होती है व मल कम मात्रा में आता है गुर्दे में कांटे की जैसी चुभन और दर्द होता है अधिक रक्तस्राव से शरीर पीला पड़ने लगता है मल के साथ रक्त निकलने लगता है शरीर में घबराहट, कमजोरी व थकान महसूस होने लगती है क्रोध, चिंता, अवरोध आदि देखने को मिलते हैं गुर्दे में जलन, खुजली, दर्द व सूजन होने लगती है आंखों में शोध भोजन में अरुचि होने लगती है यह कुछ ऐसे लक्षण हैं जो कि बवासीर की समस्या में देखने को मिलते हैं
क्या-क्या खाना चाहिए
जब किसी को बवासीर की समस्या उत्पन्न होने लगती है तब रोगी को खाने पीने की चीजों के ऊपर ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि अगर रोगी खाने पीने की चीजों पर ध्यान नहीं देगा तब रोगी को पीड़ा और बढ़ सकती है
- रोगी को और अरहर व मूंग की दाल का सेवन करना चाहिए
- रोगी को फलों में कच्चा नारियल, केला, आंवला, बेल, अंजीर का सेवन करना चाहिए
- रोगी को टमाटर, गाजर, जिमीकंद, पालक, चुकंदर सब्जियों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को गेहूं के आटे की रोटी, पुराने चावल, जौं और दलिए का सेवन करना चाहिए
- रोगी को हर रोज मूली के पत्ते खाने चाहिए व भोजन के बाद 2/3 अमरुद हर रोज खाने चाहिए
- रोगी को हर रोज सुबह शाम पपीते का सेवन करना चाहिए
- खून आने पर रोगी को धनिए के रस में मिश्री मिलाकर पीना चाहिए
- रोगी को सुबह-शाम ज्यादा से ज्यादा पानी का पीना चाहिए
- रोगी को करेले का रस या लस्सी में नमक व अजवाइन डालकर पीना चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- रोगी को ज्यादा मिर्च मसालेदार और चटपटे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा भारी, उत्तेजक व मिर्च मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए
- रोगी को शराब, तंबाकू, असीम, गुटका, पान, चाय आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को गुड, डिब्बा बंद अचार, आलू ,बैंगन से परहेज करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा खटाई युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को आम अंगूर जैसे गर्म तासीर वाले फलो का सेवन नहीं करना चाहिए
क्या करना चाहिए
- रोगी को हर रोज सुबह शाम घूमने जाना चाहिए वह हल्के-फुल्के व्यायाम करने चाहिए
- रोगी को गुदा द्वार की पीड़ा को दूर करने के लिए एरण्ड या जैतून का तेल लगाना चाहिए
- रोगी को अपने शरीर में कब्ज की शिकायत उत्पन्न नहीं होने देनी चाहिए
- रोगी को अपने मूत्र से गुदा द्वार धोना चाहिए
- रोगी को सप्ताह में एक बार एनिमा लगवाना चाहिए
- रोगी को शौच के बाद और सोने से पहले शुद्ध सरसों का तेल गुदा द्वार पर लगाना चाहिए
- रोगी को हर रोज पादांगुष्ठासन एवं उत्तामपादासन नियमित रूप से करें
क्या नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा कठोर आसन नहीं करने चाहिए व एक जगह पर कई देर तक खड़े या बैठे नहीं रहना चाहिए
- रोगी को साइकिल घुड़सवारी या ऊंट पर नहीं बैठना चाहिए
- रोगी को ज्यादा गुदामैथुन व शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए
- रोगी को अपने मल मूत्र के वेगों को नहीं रोकना चाहिए
- रोगी को बार-बार भोजन नहीं करना चाहिए
- रोगी को समय पर सोना चाहिए व सुबह जल्दी उठना चाहिए
अगर किसी को बवासीर की समस्या हो जाती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए वह डॉक्टर के सलाह लेनी चाहिए या आपको शक आयुर्वेदिक औषधियों व दवाइयों का भी इस्तेमाल करके इस समस्या से पीछा छुड़ा सकते हैं.