महिला दिवस कब और कैसे बनाया जाता है International Women’s Day
दुनिया भर में बहुत सारे ऐसे देश है जहां पर महिलाओं को एक समान अधिकार दिए गए हैं और वहां महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है महिलाओं और पुरुषों में बिल्कुल भी भेदभाव नहीं समझा जाता लेकिन दुनिया में बहुत सारी ऐसी जगह है जिनके ऊपर जहां पर महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार बिल्कुल भी नहीं दिए गए हैं और वहां पर महिलाओं का काम करना या सरकारी जॉब करना सही नहीं समझा जाता इसी वजह से उन देशों में महिलाएं आगे नहीं बढ़ पाती हालांकि अब पिछले कुछ सालों से बहुत सारे देश अपनी इन पुरानी आदतों को छोड़ चुके हैं .
वे भी महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं और महिलाओं को अलग-अलग अधिकार दिए गए हैं भारत भी एक ऐसा ही देश है जहां पर पहले महिलाओं को इतना ज्यादा आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था लेकिन पिछले कुछ दशकों में महिलाएं भारत में लगभग सभी खेलो, राजनीति व शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है और भारत सरकार बहुत सारे अलग-अलग ऐसे अभियान भी चला रही है जिन से महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है और भारत में महिलाओं को पुरुषों के समान समझा जाने लगा है.
इसी लिए महिलाओं को घरेलू परिस्थितियों से छुटकारा दिलाने के लिए उनके सम्मान में महिला दिवस भी बनाया जाता है तो इस ब्लॉग हम आपको महिला दिवस के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं इस ब्लॉग में हम आपको महिला दिवस कब कैसे और क्यों बनाया जाता है इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले है
महिला दिवस
दुनिया भर में अलग-अलग दिवस बनाए जाते हैं उसी तरह से महिला दिवस भी पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जाता है महिला दिवस को बनाने के पीछे मुख्य कारण महिलाओं का पुरुष से पीछे रहना था क्योंकि बहुत सारे देश ऐसे थे जहां पर महिलाओं को सम्मान अधिकार नहीं दिए गए थे और वहां पर महिलाओं का शोषण भी होता था और उन देशों में महिलाएं सिर्फ अपने घरेलू कामकाज और अपनी घरेलू जिंदगी में ही बंदकर रह जाती थी और उनको पढ़ने लिखने खेलने कूदने वह दूसरे कामों में आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता था इसके अलावा बहुत सारे ऐसे देश भी थे जहां पर महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिए गए थे वहां पर महिलाओं को भी पुरुषों के जैसे ही पढ़ने लिखने खेलने कूदने व दूसरे क्षेत्रों में जाने की आजादी थी और इसका असर उन देशों की प्रगति व उन देशों की खुशहाली में साफ दिखाई देता है ज्यादातर यूरोपीय और अमेरिकी देशों में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिए गए हैं इसी वजह से जापान ब्रिटेन अमेरिका जैसे देश बहुत ज्यादा अरब देशों से बहुत ज्यादा आगे हैं.
जिस देश में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं मिलते हैं वह देश कभी भी तरक्की नहीं कर पाते उदाहरण के लिए आप अफगानिस्तान को देख सकते हैं अफगानिस्तान में कुछ दशक पहले तक महिलाओं को पढ़ने लिखने खेलने कूदने यहां तक कि बाहर जाने पर भी पाबंदी थी और इसी वजह से अफगानिस्तान बहुत पीछे रह गया और अब फिर से अफगानिस्तान में वैसे ही हालात बन चुके हैं इसी वजह से अफगानिस्तान दूसरे देशों के मुकाबले में सही से तरक्की नहीं कर पाता वहीं अगर आप कनाडा न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड जैसे देशों को देखें तो वहां पर महिलाओं और पुरुषों के बीच में बिल्कुल भी भेदभाव नहीं है और इसी वजह से यह देश बहुत तेजी से विकास की राह पर दौड़ रहे हैं काफी समय पहले तक भारत के कुछ क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों के समान नहीं समझा जाता था और उनको घरेलू कामकाज में ही जीवन बिताने का दबाव डाला जाता था.
लेकिन भारत सरकार ने बहुत सारे ऐसे अभियान चलाए ताकि महिलाओं को शिक्षा खेल व दूसरे क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ाया जा सके और इसी लिए भारत सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान भी चलाया जो कि बहुत ज्यादा सफल रहा इसी के चलते भारत की बेटियां व महिलाएं खेलो व शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है दुनिया भर में अपना नाम कमा रही है भारत में महिलाएं क्रिकेट हॉकी व दूसरे ओलंपिक खेलों में भाग लेती है इसके अलावा भारत की बेटियां भारत की सेना में भी बढ़-चढ़कर भर्ती हो रही है.
पहला महिला दिवस
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया दुनिया भर में बहुत सारे यूरोपीय और अमेरिकन देश ऐसे हैं जहां पर महिलाओं को बहुत समय पहले ही बहुत सारे ऐसे अधिकार दिए गए थे जिनसे महिलाएं शिक्षा खेलों में दूसरे क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ सके लेकिन महिला दिवस को बनाने के पीछे भी अमेरिका का ही हाथ है क्योंकि एक समय था जब सन् 1919 में महिलाएं एक आंदोलन कर रही थी जिसमें महिलाओं की मांग अपनी नौकरी के घंटों को कम करने की करने की थी और महिलाएं अपने काम के पैसों को बढ़ाने के लिए भी आवाज उठा रही थी.
इसके साथ महिलाएं अपना मताधिकार भी पाना चाहती थी क्योंकि उस समय में बहुत सारे ऐसे देश हैं जहां पर महिलाओं को वोट करने का अधिकार नहीं दिया गया था वहां पर सिर्फ पुरुष ही अपने मताधिकार का उपयोग कर सकते थे और फिर इस आंदोलन की लगभग एक साल बाद अमेरिकन की एक पार्टी ने 28 फरवरी 1910 को पहली बार महिला दिवस मनाना शुरू किया लेकिन इस समय तक दुनिया के दूसरे देशों में महिला दिवस नहीं मनाया जाता था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस को बनाने के बारे में भी बहुत सारे विचार धारकों के अलग-अलग तर्क थे.
फिर कुछ समय बाद जर्मन की एक वकील क्लारा जेटकिन एक ऐसी महिला थी जिन्होंने महिलाओं उनके अधिकारों के प्रति आवाज उठाई और उन्होंने महिलाओं के शोषण व अपराध को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन करवाया जिसका मकसद महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना था और इस कॉन्फ्रेंस में लगभग 17 से ज्यादा देशों की महिलाओं ने भाग लिया और यह सभी महिलाएं क्लारा जेटकिन की बातों से सहमत थी और यह भी अपने-अपने देशों में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध, शोषण व दुर्व्यवहार के प्रति आवाज उठाना चाहती थी और महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में बताने का निर्णय लिया
8 मार्च को महिला दिवस
पहली बार 1910 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बनाने के बाद 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ की अनुमति के बाद हर साल 8 मार्च को महिला दिवस बनाने का निर्णय लिया गया और तब से हर साल महिला दिवस बनाया बनाया जा रहा है जिसमें महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है और दुनिया भर में हो रहे महिलाओं के प्रति अपराधों को के सामने लाया जाता है और खेलों शिक्षा व दूसरे कामों में सफलता प्राप्त करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है और इसी दिन बहुत सारी जगह पर अलग-अलग महिलाओं व अलग-अलग चौक हॉस्पिटल आदि का निर्माण किया जाता है
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के प्रति बैंगनी रंग को एक बहुत बड़ा स्थान प्राप्त है क्योंकि बैंगनी रंग महिलाओं की समानता का प्रतीक माना जाता है इसके साथ ही हरे और सफेद रंग का भी संयोजन होता है इस प्रतीक में बैंगनी रंग को न्याय और गरिमा का प्रतीक माना जाता है वही सफेद रंग को सच्चाई का प्रतीक माना जाता है और हरे रंग को महिलाओं की आशा का प्रतीक माना जाता है ताकि महिलाएं हर किसी चीज के प्रति उत्सुक हो सके और आशा रख सके
महिला दिवस कैसे मनाया जाता है
दुनिया भर में महिला दिवस अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है हालांकि अमेरिका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की बहुत समय पहले से ही महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं उनको अलग-अलग अधिकार दे रहे हैं इसलिए वहा महिला दिवस को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं इस दिन महिलाओं को फूल व गिफ्ट दिए जाते हैं उनको उनके जीवन में खुशहाली की शुभकामनाएं दी जाती है और इसके साथ ही महिलाओं को उनके काम के प्रति और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है.
लेकिन भारत जैसे विकासशील देश पहले महिला दिवस को इतना ज्यादा महत्व नहीं देते थे हालांकि पिछले कुछ दशकों में भारत में भी महिला दिवस को बहुत ही महत्व दिया जा रहा है और हर साल महिला दिवस के ऊपर भारत सरकार अलग-अलग अभियान चलाती है ताकि महिलाओं और पुरुषों के बीच में असमानता को खत्म किया जा सके और महिलाओं को भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का मौका मिल सके और इसी का नतीजा भारत की बेटियां सभी खेलो व शिक्षा के क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं और भारत में हर साल महिला दिवस के ऊपर भारत की महत्वपूर्ण खिलाड़ी नेता व दूसरी ऐसी महिलाएं जिन्होंने भारत की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उनको अलग-अलग तरीकों से सम्मानित किया जाता है.
महिला दिवस का लक्ष्य
दुनिया भर में महिला दिवस बनाने का मुख्य लक्ष्य महिलाओं को उनके खिलाफ हो रहे शोषण अपराध वह दूर व्यवहार के प्रति आवाज उठाना और महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है ताकि गरीब व छोटे स्तर की महिलाएं अपने आप को अकेला न समझ सके और वे महिलाएं सिर्फ गृहस्ती जीवन या घर में ही बंद कर न रहे इसलिए महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाया जाता है आज के समय में भी दुनियाभर में ऐसे बहुत सारे देश हैं जहां पर पुरानी मानसिकता के लोग रहते हैं और वहां पर महिलाओं का घर से बाहर जाना, काम करना, जॉब करना, पढ़ाई लिखाई करना व खेलना कूदना गलत माना जाता है.
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई महिला दिवस के बारे में यह जानकारी आपको बहुत ही पसंद आई होगी अगर आपको यह जानकारी पसंद आई और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें.