मोतियाबिंद क्या है मोतियाबिंद के लक्षण मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज
आंखें किसी भी इंसान, जानवर, पशु-पक्षी के शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग होता है अगर हमारी आंख में एक बार कुछ गिर जाए तब हमें देखने में बहुत परेशानी होती है लेकिन कई बार चोट लगने से भी आंखें खराब हो जाती है उस दौरान उस व्यक्ति को देखने में बहुत कठिनाई आती है या कई बार दिखाई देना बंद हो जाता है इसीलिए हमें आंखों की देखभाल ज्यादा करनी पड़ती है अगर एक बार किसी इंसान की आंखों की रोशनी चली जाती है तब उस इंसान को दिन और रात का मालूम नहीं पड़ता क्योंकि वह बिल्कुल अंधा हो जाता है.
आजकल तो आंखों की अलग-अलग बीमारियां चली हुई है इसी बीमारी में से एक बीमारी का नाम है मोतियाबिंद, जी हां मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है जिससे हमारी आंखों की रोशनी चली जाती है और धीरे-धीरे हमें बिल्कुल भी दिखाई देना बंद हो जाता है आज के समय में यह बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही है इसलिए इस ब्लॉग में हम मोतियाबिंद के बारे में ही बात करेंगे इस ब्लॉग में आपको बताया जाएगा कि मोतियाबिंद किस कारण से होता है इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए और अगर आपको मोतियाबिंद हो जाता है तो उस दौरान आपको किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किस तरह से इसका उपचार कराना चाहिए.
मोतियाबिंद क्या है
सबसे पहले हम बात करते हैं आखिरकार मोतियाबिंद क्या है मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है जो कि आपके जो कि आपकी आंखों के अंदर होती है और इससे आपकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे बिल्कुल समाप्त हो जाती है और मोतियाबिंद अंधेपन का कारण बनता है
जब हम हमारी आंखों से देखते हैं तब रोशनी हमारी आंख से होकर आंख के पिछले पर्दे यानी रेटिना तक जाती है लेकिन जब हमारे लेंस से रोशनी आगे तक नहीं जाती यानी रेटिना तक नहीं पहुंच पाती तो इस दशा को मोतियाबिंद के नाम से जाना जाता है और यह धीरे-धीरे से हमारी आंखों के लेंस को बिल्कुल अपारदर्शी बना देता है और हमारी देखने की शक्ति बिल्कुल कम हो जाती है मोतियाबिंद दो प्रकार का होता है जिसको काला मोतिया या सफेद मोतिया के नाम से जाना जाता है लेकिन दोनों तरह के मोतियाबिंद में हमें दिखाई देना बंद हो जाता है
मोतियाबिंद किस कारण से होता है
वैसे तो मोतियाबिंद बहुत सारे कारण से हो सकता है लेकिन इसके कुछ प्रमुख कारण होते हैं जैसे किसी वजह से आंख में गहरी चोट लगना, आंखों में सूजन रहना आंखों के पर्दे का किसी कारण से अलग हो जाना, खूनी बवासीर हो ना या किसी वजह से रक्त स्त्राव का बंद हो जाना और प्रोटीन, विटामिन ए बी और सी की कमी हो जाना आदि की कारण मोतियाबिंद हो सकता है
इसके अलावा भी मोतियाबिंद ज्यादा खतरनाक दवाइयों के कारण, गठिया ,मधुमेह धमनी रोग और लंबे समय तक तेज रोशनी या ज्यादा गर्मी के कारण में भी हो सकता है और बुढ़ापे की कारण भी हो सकता है कई बार आंखों में किसी वजह से जख्म हो जाने के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है
मोतियाबिंद के लक्षण
अगर आपकी आंखों में मोतियाबिंद दस्तक दे रहा है तब उस स्थिति में आपको इसकी कोई लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे
इस रोग के आने से पहले आपको छोटी चीजें जैसे मच्छर मक्खी आदि ज्यादा दिखाई देने लगते हैं और एक बार किसी चीज को देखने के बाद वह आपको कई देर तक दिखाई देती है आपको सभी चीजें सफेद दिखाई देगी दूर की चीजें आपको बिल्कुल धुंधली दिखाई देगी और धीरे-धीरे आपको दूर की चीजें दिखाई देना बंद कर देगी या आपको रात के समय में ज्यादा दिखाई नहीं देगा और अगर आप इसका कई दिनों तक इलाज नहीं कराते हैं तब धीरे-धीरे आपको बिल्कुल दिखाई देना बंद हो सकता है
उपचार
अगर आपको मोतियाबिंद हो जाता है तो आप इसका उपचार भी करवा सकते हैं इसके उपचार के लिए डॉक्टर आपकी आंखों का ऑपरेशन करता है डॉक्टर ऑपरेशन के द्वारा आपकी आंखों के अपारदर्शी लेंस को बाहर निकाल देता है और नए लेंस को डाल देता है जिससे आपको फिर से बिल्कुल साफ दिखाई देने लगता है
क्या-क्या खाना चाहिए
अगर आपको मोतियाबिंद हो जाता है तब आपको उस दौरान क्या क्या खाना चाहिए और क्या क्या नहीं खाना चाहिए क्योंकि अगर आपको मोतियाबिंद हो जाता है और आप खान-पान का ध्यान नहीं रखते हैं तो आपकी आंखों में मोतियाबिंद ज्यादा तेजी से आ सकता है
- आपको गेहूं के आटे की गरम रोटी खानी चाहिए
- आपको ज्यादा हरी सब्जियां जैसे पालक, पत्ता, गोभी, लौकी, तरोई, मेथी, गाजर, मूली आदि का सेवन करना चाहिए
- आपको एक कप गाजर का जूस और दो कप पालक का जूस मिला कर 2-3 से पीना चाहिए
- गाय के दूध को बिना चीनी मिलाएं सुबह शाम पीना चाहिए
- आपको आंवला अंजीर गूलर आदि खाने चाहिए
- आम पपीता कच्चा नारियल घी मक्खन आदि का सेवन करना चाहिए
क्या क्या नहीं खाना चाहिए
- आपको ज्यादा वनस्पति घी तेल खटाई आदि नहीं खानी चाहिए
- ज्यादा तली भुनी हुई चीजों से परहेज करना चाहिए
- आपको ज्यादा मिर्च मसाले वाले खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए
- ज्यादा मांस मछली अंडा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- ज्यादा मांस मछली अंडा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
मोतियाबिंद से बचने के उपाय
- आपको सुबह-सुबह शीर्षासन करना चाहिए
- सुबह-सुबह आप को ठंडे पानी से अपनी आंखों को धोना चाहिए
- आपको हर रोज चंदन लगाना चाहिए
- आपके पढ़ाई के समय रोशनी भाई और से आनी चाहिए
- आपको रात के समय में ज्यादा रोशनी में फोन लैपटॉप कंप्यूटर आदि नहीं चलना चाहिए
- खुली आंखों से सूरज की तरफ नहीं देखना चाहिए
- अगर आपने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया है तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयों आदि को डालना चाहिए और ऑपरेशन के लगभग 5 से 6 हफ्ते तक आपको अपनी आंखों पर चश्मा पहनना चाहिए
क्या क्या नहीं करना चाहिए
- आपको बहुत ज्यादा या बहुत कम रोशनी में नहीं पड़ना चाहिए
- आपको अपने शरीर के अंदर कब्ज की शिकायत नहीं रहने देनी चाहिए
- आपको ज्यादा गरम या ज्यादा ठंडे मौसम में खुली आंखों से बाहर नहीं निकलना चाहिए
- ऑपरेशन के तुरंत बाद आपको खुली आंखें नहीं रखनी चाहिए और ज्यादा पढ़ने लिखने का काम नहीं करना चाहिए
मोतियाबिंद की आयुर्वेदिक दवा
लेकिन आपको लगता है कि आपकी आंखों में मोतियाबिंद दस्तक दे रहा है तब आप कुछ ऐसी आयुर्वेदिक दवा इस्तेमाल करके भी इससे छुटकारा पा सकते हैं जो कि हमने आपको नीचे बताई है इन सभी आयुर्वेदिक दवा का आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं.
- रोग के आरम्भ में ही निर्मली शहद में घिसकर आँखों में लगाने से मोतियाबिन्द नष्ट हो जाता है।
- नौसादर को खूब महीन पीस कर बारोक कपड़े से छानकर इसको सुरमे की भांति नेत्रों में लगाने से मोतियाबिन्द में आराम हो जाता है।
- सफेद चिरमिटी का स्वरस कागजी नींबू के रस में मिलाकर सबेरे ही नेत्रों में लगाने से मोतियाबिन्द में आराम हो जाता है।
- सौंफ का हरा पेड़ लाकर काँच या चीनी के बर्तन में रख दें। जब वह सूख जाये तब पीस छानकर सुरक्षित रख लें। इसको सुरमे की भाँति आँखों में लगाने से मोतियाबिन्द नष्ट हो जाता है।
- पुत्र को दुग्धपान कराने वाली स्त्री के दूध में भीमसैनी कपूर पीसकर आँखों में लगाने से मोतियाबिन्द में आराम हो जाता है।
- मनुष्य के कान का मैल और हींग सम मात्रा में लें और पीस कर शहद में मिला लें। इसे आँखों में लगाते रहने से मोतियाबिन्द में आराम हो जाता है।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए
मोतियाबिंद बीमारी का इलाज आप आयुर्वेद से कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको धीरज रखना पड़ेगा क्योंकि आयुर्वेद में जो भी इलाज होता है वह थोड़ा सा समय ज्यादा लेता है लेकिन वह बहुत ही अच्छा और स्थाई इलाज होता है. लेकिन अगर आपको आयुर्वेदिक इलाज से कोई फायदा नहीं होता है तभी आप मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने की सोच है अन्यथा आपको आयुर्वेदिक उपचार से ही अपनी बीमारी का इलाज करना चाहिए क्योंकि आयुर्वेदिक इलाज से हमारे शरीर पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता.
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