रविंद्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय

रविंद्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय

दुनिया में ऐसे बहुत सारे इंसान पैदा हुई है जो कि लोग अपने एक ही लक्ष्य को लेकर चलते हैं उनके जीवन में दूसरे कोई भी लक्ष्य नहीं होते और वे जीवन में अपने एक ही लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हैं और भी दुनिया में ऐसे इंसान दुनिया में दशकों में नहीं बल्कि सदियों में एक बार पैदा होते हैं जो कि सिर्फ धरती में महान काम करने के लिए या इतिहास बनाने के लिए आते हैं दुनिया में ऐसे बहुत सारे बड़े बड़े इंसान पैदा हुए हैं.

जिन्होंने अपने देश अपने व राष्ट्र के निर्माण के लिए अनेक काम किए हैं उस इंसान को उस राष्ट्र के लोग किसी भगवान से कम नहीं मानते ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि कोई इंसान अगर किसी नेता या सेनानी के रूप में ही अपने राष्ट्र में पूजा जाता है बल्कि कुछ ऐसे इंसान भी होते हैं जो कि अपने कामों के कारण दुनिया के दिलों में राज करते हैं ऐसी ही एक इंसान रविंद्र नाथ टैगोर भी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भारत के लिए लगा दिया उन्होंने भारत के लिए कई ऐसे काम किए जो कि शायद कोई इंसान नहीं कर पाता.

रविंद्र नाथ टैगोर इंसान थे जिन्होंने अपने जीवन में 1000 से भी ज्यादा कविताएं उपन्यास पाठ व लेख लिखें और उनके लेख भारत के अलावा दूसरे देशों में भी बहुत ज्यादा प्रचलित हुए हालांकि बहुत समय तक उनके लिए एक उनकी पैतृक क्षेत्र के आसपास ही सीमित है लेकिन एक घटना के बाद रविंद्र नाथ टैगोर के लेख उपन्यास पाठ कविताएं भारत के साथ-साथ विश्व भर में प्रसिद्ध हुई.

रविंद्र नाथ टैगोर भारत के अलावा पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे देशों के लिए भी एक बहुत महान व्यक्ति है उन्होंने भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए भी कई अच्छे कार्य किए आपने बहुत सारे लोग शायद रविंद्र नाथ टैगोर के बारे में जानते भी होंगे या आपने बहुत सारी जगह पर उनके बारे में पढ़ा होगा लेकिन इस ब्लॉग में हम आपको रविंद्र नाथ टैगोर की पूरे जीवन परिचय के बारे में जानकारी देने वाले हैं.

रविंद्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय

रविंद्र नाथ टैगोर एक बहुत बड़े जाने-माने महान लेखक की उन्होंने अपने जीवन में 1000 से भी ज्यादा कहानियां,पाठ, उपन्यास लिखे जो कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है उन्होंने अपने जीवन में लगभग 2000 से भी ज्यादा गीत लिखें रविंद्र नाथ टैगोर बचपन से ही लेखन कार्य में दिलचस्पी रखते थे इसीलिए बचपन से ही कहानियों और लेखों को लिखने लगे  लेकिन धीरे-धीरे रविंद्र नाथ टैगोर के जीवन में बदलाव आता गया और वे अपने लेखन में गीत नाटक उपन्यास घटनाएं लिखने लगे शुरुआती दौर में रविंद्र नाथ टैगोर की कहानियां लेख उनके आसपास के क्षेत्र में रहते थे.

लेकिन जैसे-जैसे रविंद्र नाथ टैगोर के जीवन का समय आगे बढ़ता गया उनकी लिखी हुई हर एक चीज उनके आसपास के क्षेत्र के अलावा दूसरे क्षेत्रों में क्षेत्रों में भी फैलने लगी और लोग उनकी लिखी हुई चीजों में दिलचस्पी दिखाने लगी है.उनके जीवन के शुरुआती कुछ सालों में उनकी लिखी हुई है हर एक चीज उनके पैतृक स्थान कोलकाता तक ही सीमित रहती थी लेकिन एक घटना ने उनके पूरे लेखन जीवन को बदल दिया और वह एक बहुत बड़े लेखक बनकर सामने आए .

उन्होंने लेखन कार्य में इतिहास रच डाला  लेकिन उनके जीवन का असली बदलाव तब आया जब रविंद्र नाथ टैगोर 51 वर्ष की आयु में थे इस समय वह अपने पुत्र के साथ समुंदर के रास्ते इंग्लैंड जा रहे थे लेकिन इंग्लैंड जाते समय उनका रास्ता बहुत लंबा था और रविंद्र नाथ टैगोर ऐसे इंसान थे जिनको खाली रहना बिल्कुल भी पसंद नहीं था वह हर समय अपनी कलम से कुछ ना कुछ लिखते रहते थे इसी समय उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे उनका रास्ता भी कट जाए और उनका समय भी बर्बाद न हो इसीलिए उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना गीतांजलि को अंग्रेजी में लिखना शुरू कर दिया और जैसे-जैसे समय बीता तब उन्होंने अपनी पूरी रचना को अंग्रेजी में बदल दिया.

फिर भी इंग्लैंड पहुंच गए लेकिन जब इंग्लैंड पहुंचे तब उनके गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद की नोटबुक का सूटकेस जहाज में ही छूट गया लेकिन कहते हैं ना किस्मत बहादुर का साथ देती है ऐसा ही रविंद्र नाथ टैगोर के साथ भी हुआ सूटकेस को किसी ऐसे इंसान ने देखा जोकि रविंद्र नाथ टैगोर तक उस सूटकेस को पहुंचाने में सक्षम था और दूसरे ही दिन उस सूटकेस को रविंद्र नाथ टैगोर के पास पहुंचा दिया गया वहां पर उनकी गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद की नोटबुक इंग्लैंड के चित्रकार ने पढ़ने की इच्छा जाहिर की और जब उसने वह नोटबुक पढ़ें आश्चर्यचकित रह गए.

वे रविंद्र नाथ टैगोर के लेखन कार्य से बहुत प्रभावित हुए फिर उस चित्रकार ने नोटबुक को अपने दोस्त को पढ़ाया और यहीं से रविंद्र नाथ टैगोर के जीवन का असली मोड़ आया क्योंकि उस चित्रकार के दोस्त ने गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद की कुछ प्रतियां प्रकाशित करने की इच्छा जाहिर की है जोकि कुछ ही समय बाद लंदन के एक घर में पहुंच गई.यही से गीतांजलि दुनिया के दूसरे देशों पर भी पहुंचने लगी और सभी लोग रविंद्र नाथ टैगोर के लेखन से बहुत प्रभावित हुए और वे उनके दूसरे लेखों को भी पढ़ने में दिलचस्पी दिखाने लगी.

धीरे-धीरे उनके गीत, पाठ, लेख, रचनाएं, उपन्यास दुनिया भर में फैलने लगे गीतांजलि के प्रकाशित होने के बाद सन् 1913 में रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया रविंद्र नाथ टैगोर एक बहुत बड़े लेखक व रचनाकार थे उन्होंने अपने जीवन में बहुत बड़े-बड़े लेख उपन्यास व पाठ लिखिए और उनकी कुछ साहित्य पाठ्य उपन्यास तो दुनिया भर में इतने ज्यादा लोकप्रिय रहे कि लोग उनकी हर एक पुस्तक को पढ़ने लगे रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने जीवन में बहुत सारे गीत भी लिखे और उनके लिखे हुए दो गीत भारत व बांग्लादेश की राष्ट्रीय राष्ट्रीय गान भी है

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म

रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था रविंद्र नाथ टैगोर के पिता का नाम रविंद्र नाथ टैगोर का देवेंद्र नाथ टैगोर था तथा उनकी माता का नाम शारदा देवी था रविंद्र नाथ टैगोर बचपन से ही लेखन कार्य में बहुत दिलचस्पी रखते थे रविंद्र नाथ टैगोर ने सिर्फ 8 वर्ष की आयु में ही पहली बार कविता लिखना शुरू किया और जब वह 16 साल की आयु के थे तब पहली बार उनकी कविता का प्रकाशन हुआ और इसके बाद धीरे-धीरे रविंद्र नाथ टैगोर के लेखन कार्य की शुरुआत हुई 1883 में .

रविंद्र नाथ टैगोर की शादी एक म्रणालिनी देवी नाम की महिला से हुई उस समय उसकी आयु 10 वर्ष की थी रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने जीवन में कई जगह से शिक्षा प्राप्त की 1871 में रविंद्र नाथ टैगोर के पिता ने उनका दाखिला लंदन एक के महाविद्यालय में करवाया लेकिन रविंद्र नाथ टैगोर का लेखन कार्य में इतना मन था कि वह 2 साल बाद बिना डिग्री लिए ही वापस भारत लौट आए हैं और उन्होंने अपने लेखन कार्य को जारी रखा

रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने जीवन में कई बड़े-बड़े उपन्यास कहानियां नाटक बहुत सारी दूसरी पुस्तके गीत लिखे रविंद्र नाथ टैगोर रविंद्र नाथ टैगोर एक ऐसे इंसान थे जो कि समाज की बुराई के ऊपर भी अपनी कलम को चलाते थे रविंद्र नाथ टैगोर का पालन पोषण ज्यादातर उनके नौकरों के द्वारा ही किया गया क्योंकि  रविंद्र नाथ टैगोर की मां का देहांत बचपन में ही हो गया था महात्मा गांधी जी रविंद्र नाथ टैगोर से बहुत प्रभावित हुए और इसीलिए महात्मा गांधी ने रविंद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव का नाम दिया.

घर में बचपन में रविंद्र नाथ टैगोर को रबी के नाम से पुकारा जाता थाफिर रविंद्र नाथ टैगोर का और 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में रविंद्र नाथ टैगोर का देहांत हो गया और यहीं से दुनिया ने अपना एक बहुत बड़ा उपन्यासकार रचनाकार व लेखक खो दिया वैसे तो रविंद्र नाथ टैगोर के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है उनके हमारे बीच में आज भी लाखों दीवाने मौजूद है और उनकी लिखी हुई पढ़ने से हमारे दिल को सुकून भी मिलता है दुनिया में कोई ऐसा महान कवि लेखक उपन्यासकार रचनाकार नाटककार पैदा होगा.

Faq

Q. रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कब हुआ
Ans . 7 मई 1861को

Q.रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कहां हुआ
Ans. कोलकाता में

Q.रविंद्र नाथ टैगोर की माता तथा पिता का क्या नाम था
Ans. पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर व माता का नाम शारदा देवी था

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई रविंद्र नाथ टैगोर के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारी आप आना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरुर विजिट करें. रविंद्र नाथ टैगोर जयंती, रविंद्र नाथ टैगोर जीवनी, रविंद्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय, रविंद्र नाथ टैगोर कौन थे, रविंद्र नाथ टैगोर के विचार, रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु, रविंद्र नाथ टैगोर की रचना, रविंद्र नाथ टैगोर की फोटो, रविंद्र नाथ टैगोर के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, रविंद्र नाथ टैगोर के अनमोल वचन, अबाउट रविंद्र नाथ टैगोर, रविंद्र नाथ टाइगर, रविंद्र नाथ टैगोर कविता,

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