शहीद दिवस कब कैसे और क्यों मनाया जाता है

शहीद दिवस कब कैसे और क्यों मनाया जाता है

दुनिया भर में हर साल आपस में बहुत सारे देशों की लड़ाइयां व युद्ध होते रहते हैं और दुनिया में 2 विश्वयुद्ध भी हो चुके है जिनमें बहुत सारे सैनिकों ने अपनी जाने गवाई है और अब हाल ही में रसिया और यूक्रेन का भी लड़ाइ चल रही है और इसी तरह से हर साल बहुत सारे छोटे व बड़े युद्ध और लड़ाइयां होते रहती हैं जिनमें सैनिक अपने देश के लिए अपनी जान को भी गवा देते हैं और भारत भी अपने इतिहास में बहुत सारे युद्ध लड़ चुका है.

भारत के ज्यादातर युद्ध पाकिस्तान के साथ ही हुए हैं जिनमें भारत के अनेक वीरों ने अपनी जान गवाई है और अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं लेकिन शहीदों को याद करने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है तो इस ब्लॉग में हम आपको शहीद दिवस कब, क्यों और कैसे बनाया जाता है इसके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं.

शहीद दिवस

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया शहीद दिवस एक ऐसा दिन होता है जिस दिन सभी देशवासी अपने शहीदों के बलिदान व उनकी शहादत को याद करते हैं इस दिन बहुत सारे नेताओं व सैनिकों को उनके बलिदान के लिए सम्मानित भी किया जाता है भारत एक ऐसा देश है जहां पर सैनिकों को बहुत ज्यादा सम्मान दिया जाता है और इसीलिए भारत में हर साल शहीद दिवस मनाया जाता है भारत में शहीद दिवस बनाने की 2 तारीख मानी जाती है जिसमें 30 जनवरी और 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है.

इस दिन भारत के वीर सपूतों को देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री सम्मानित भी करते हैं और अपने वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और उनकी प्रतिमाओं पर फूल व मालाएं चढ़ाई जाती है उनके दवारा देश के लिए दिए गए बलिदान को याद किया जाता है और कई बार उनके नाम से किसी इमारत, हॉस्पिटल या स्कूल आदि का भी निर्माण किया जाता है भारत में 30 जनवरी को महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है महात्मा गांधी एक बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं जिन्होंने अंग्रेजों के साथ भारत को आजादी दिलाने में बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान दिया था और इसीलिए उनको 30 जनवरी को याद किया जाता है.

30 जनवरी

भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस इसलिए बनाया जाता है क्योंकि 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी थी क्योंकि महात्मा गांधी एक दृढ़ निश्चय और सच्चे देशभक्त थे इसलिए उनका बहुत लोगों के साथ बैर व मतभेद रहता था और ऐसा ही नाथूराम गोडसे के साथ भी था नाथूराम गोडसे के साथ गांधीजी के विचार नहीं मिलते थे और इसी लिए नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की बिरला हाउस में हत्या कर दी थी .

फिर इसी दोष में 8 नवंबर को नाथूराम गोडसे को भी मौत की सजा सुनाई गई और भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी को हुई इसीलिए 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में बनाने के लिए भारत सरकार ने घोषणा की गई थी और तब से भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है.

23 मार्च

भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस बनाने के पीछे भी स्वतंत्रता सेनानियों की ही वजह है क्योंकि स्वतंत्रता की लड़ाई में भारत के अलग-अलग कोनों और अलग-अलग राज्यों में बहुत सारे ऐसे स्वतंत्रता सेनानी शामिल हुए जो कि बहुत ही कम आयु के थे और उनमें से ही भगत सिंह राजगुरु सुखदेव और आजाद भी कुछ ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी थे और इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की लड़ाई को तेजी से आगे बढ़ाने में बलिदान दिया भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और आजाद ने अंग्रेजों द्वारा लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लिया.

इसके लिए इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने मिलकर लड़ाई लड़ी और इन सभी सैनिकों ने मिलकर अंग्रेजों की विधानसभा हमला किया जिसमे बहुत सारे अंग्रेज सिपाहियों में अंग्रेज नेताओं की मौत हो गई और इसी के चलते अंग्रेजों ने इन सभी को गिरफ्तार कर लिया और इन सभी के खिलाफ मुकदमा दायर किया और फिर 23 मार्च 1931 को इन सभी संस्था सेनानियों को अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई इसलिए 23 मार्च को भारत में दूसरा शहीद दिवस मनाया जाता है.

इसके अलावा भी भारत के अलग-अलग राज्यों में कुछ अलग अलग तरह से अलग अलग दिन पर शहीद दिवस बनाया जाता है

जम्मू-कश्मीर –  जम्मू कश्मीर के लोग भी अपने शहीदों को याद करते हुए 13 जुलाई को अपना शहीद दिवस बनाते हैं इस दिन सभी लोग अपने स्वतंत्रता सेनानियों व अपने सैनिकों को नमन करते हैं और उनकी प्रतिमाओं के ऊपर फूल व मालाएं चढ़ाते हैं और मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर में यह शहीद दिवस जम्मू कश्मीर के 22 लोगों की मृत्यु की याद में बनाया जाता है क्योंकि 13 जुलाई 1931 में जम्मू कश्मीर की महाराजा हरि सिंह के सामने कुछ प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे थे और इसी के चलते सैनिकों ने 22 लोगों की हत्या कर दी थी और उन 22 लोगों की हत्या के बदले में जम्मू कश्मीर के लोग 13 जुलाई को अपना अलग शहीद दिवस बनाते हैं जम्मू कश्मीर के लोगों का मानना है कि 22 लोगों ने हमारे लिए बलिदान दिया है.

ओडिशा – 17 नवंबर को ओडिशा राज्य के लोग अपना अलग शहीद दिवस बनाते हैं उड़ीसा में यह शहीद दिवस बनाने के पीछे लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि है इस दिन उड़ीसा के लोग लाला लाजपत राय को याद करते हैं वह उनकी मूर्ति के ऊपर फूल मालाएं चढ़ाते हैं और उनकी समाधि के ऊपर भी फूल चढ़ाए जाते हैं और उनको उनके बलिदान के लिए नमन किया जाता है क्योंकि लाला लाजपत राय भी एक बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई को तेजी से आगे बढ़ाया और इसी के चलते अंग्रेजों द्वारा लाला लाजपत राय की हत्या करवा दी गई लाला लाजपत राय को पंजाब के शेर के नाम से भी जाना जाता है.

झांसी – झांसी के लोग भी अपना अलग दिवस अलग शहीद दिवस बनाते हैं क्योंकि झांसी में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का जन्म हुआ था और आप सभी जानते होंगे कि झांसी की रानी एक बहुत ही बहादुर बहादुर स्वतंत्रता सेनानी मानी जाती थी और उन्होंने भी सब 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की थी और स्वतंत्रता की लड़ाई को शुरू किया और इस लड़ाई में उन्होंने अपनी जान का भी बलिदान दिया था और इसी लिए झांसी के लोग अपनी शेरनी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को 19 नवंबर को याद करते हैं.

इसीलिए झांसी के लोग झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन के ऊपर 19 नवंबर को उनको याद करते हैं और उनके जन्मदिन को शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं इस दिन सभी लोग झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा के ऊपर फूल व मालाएं चढ़ाते हैं और उनकी समाधि के ऊपर भी फूल माला चढ़ाई जाती है और उनके नाम से कई बार किसी चौक, हॉस्पिटल या किसी इमारत आदि का भी निर्माण किया जाता है.

शहीद दिवस कैसे मनाते हैं

वैसे तो शहीद दिवस को सभी लोग अपने अपने तरीके से बनाते हैं लेकिन कुछ ऐसी बातें होती है जो कि लगभग सभी शहीद दिवस में एक जैसी होती हैं अगर किसी खास व्यक्ति को याद करके शहीद दिवस मनाया मनाया जा रहा है तब उस व्यक्ति की प्रतिमा या उसकी समाधि के ऊपर फूल मालाएं चढ़ाई जाती है और उनकी समाधि या उनकी प्रतिमा के आगे खड़ा होकर कुछ समय के लिए हुआ जाता है और उनके द्वारा दिए गए बलिदान व उनके द्वारा बताई गई बातों को याद किया जाता है.

और भारत में बहुत सारे अलग-अलग स्वतंत्रता सेनानी व देशभक्त पैदा हुए हैं जिन्होंने अपना अलग-अलग नारा दिया है और उन सभी की अलग-अलग कहानियां हैं और उन सभी ने अलग अलग तरीके से आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर भाग लिया है इसलिए भारत के लोग अपने स्वतंत्रता सेनानियों व सैनिकों को बहुत ही प्यार करते हैं और उनकी बातों के ऊपर बहुत ज्यादा अमल करते हैं.

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई शहीद दिवस के बारे में यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आए तो हमारी वेबसाइट को विजिट जरूर करें और ऐसी ही जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहे.

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